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रुख़्सती के बाद भी लोगों की ज़ुबाँ पर रहूँगा,शायर हूँ दो पल का ख़्वाब नहीं।।
rishabhrathorerdr.blogspot.com
जब भी हाथ उठे जरूरत मंदो के लिए उठे,कभी भी हमने खैरात नहीं बेची.... मुझे गुरूर है मेरे घर के बड़ों ने कभी,जरूरतों के लिए जायदाद नहीं बेची.... ©ThoughtsofRDR~
ThoughtsofRDR~
14 Love
जब भी हाथ उठे जरूरत मंदो के लिए उठे,कभी भी हमने खैरात नहीं बेची.... मुझे गुरूर है मेरे घर के बड़ों ने कभी जरूरतों के लिए जायदाद नहीं बेची.... ©ThoughtsofRDR~
इक बंजर सी ज़मीन को सींचकर कभी हमने सृजन के वो बीज भी बोए ... जिन्होंने अपनों की बातों को बुरा मानकर गैरों को गले लगाया अंततः वो अपनों के लिए ही रोए.... एक अन चाही मंज़िल की दौड़ थी और मेरा नसीब की मैं पहले पहुंचा... एक लंबी दूरी,कुछ मीठी कड़वी यादें,और फिर दो निश्छल हृदय फफक फफक कर रोए।। ©ThoughtsofRDR~
13 Love
सफर करेगा वो शख़्स आख़िर कब तलक रहेंगी मजबूरियां जहां में कब तलक जो संग चले वही कातिल रहे मेरी उड़ानों के जुगनू चमकता रहेगा,अंधेरा रहेगा कब तलक।। ✍️Rishabh dev Rathore📚 ©ThoughtsofRDR~
10 Love
यही एक शोर जो मेरे अंदर है मुख्तसर नहीं वो पुरजोर मेरे अंदर है कोई तो बताए के मैं तन्हाई में चीखता क्यों नहीं... यही एक वजह के उसका गम मेरे अंदर है।। ©ThoughtsofRDR~
मोर मया पिरित के बंधना ला झीन टोरबे ओ तोला कईथों.... तोर दिल मा हावय एक कुरिया वो, ओहि कुरीया मा मैं तो रहीथों।। ✍️36 गढ़िया बाबू📚 ©ThoughtsofRDR~
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