White चाहा था उसने मुझे, एक अच्छा इंसान देखकर ।
फिर प्यार भी किया बेइन्तहा, मेरा ईमान देखकर ।।
उम्मीद थी जिनसे, सब तमाशगीर निकले ,
फिर रोये और पछताये बहुत, मेरा अंजाम देखकर ।।
उधर वो भी रोइ गिड़गिड़ाई, उसकी एक ना चली,
घर वालो ने रिस्ता पक्का कर दिया, ऊंचा खानदान देखकर ।।
आई थी मेरे पास, भागकर शादी करने की उम्मीद में ,
नकार दिया मैंने, घर में अपनी भी बहन जवान देखकर ।।
मैं खुद में ही गुम हो गया, थाम लिया कलम का हाथ ,
हैरान है मेरे अपने, आज गैरों को मुझपर मेहरबान देखकर ।।
चार साल बाद ज़ब वो मिली, तो सोचा इसे कहाँ याद होंगी मेरी ,
घुटनो के बल गिर गया मैं, उसके बेटे का नाम नादान देखकर ।।
विमल कुमार नादान
©Vimal Kumar Nadaan
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