White उसकी जुदाई का आंख से मंजर नहीं बदला । ठोकरे | हिंदी शायरी

"White उसकी जुदाई का आंख से मंजर नहीं बदला । ठोकरे खाता रहा दर बदर नहीं बदला ।। क्या पता कब उसको याद आये, किसी काम के लिए, इसी उम्मीद में पिछले दस साल से अपना नम्बर नहीं बदला ।। ©Vimal Kumar Nadaan"

 White उसकी जुदाई का आंख से मंजर नहीं बदला ।

ठोकरे खाता रहा दर बदर नहीं बदला ।।



क्या पता कब उसको याद आये, किसी काम के लिए,

इसी उम्मीद में पिछले दस साल से अपना नम्बर नहीं बदला ।।

©Vimal Kumar Nadaan

White उसकी जुदाई का आंख से मंजर नहीं बदला । ठोकरे खाता रहा दर बदर नहीं बदला ।। क्या पता कब उसको याद आये, किसी काम के लिए, इसी उम्मीद में पिछले दस साल से अपना नम्बर नहीं बदला ।। ©Vimal Kumar Nadaan

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