Red sands and spectacular sandstone rock formations मैं और मेरा अकेलापन
अब अच्छा लगता है अकेला रहना,
न किसी से कोई शिकायत,
न किसी का इंतज़ार करना,
बस खुद के लिए जीना, खुद की चिंता करना
अब अच्छा लगने लगा है खुद से मिलना
तन्हाई में बैठ कर खुद से बातें करना
उलझी हुई ज़िंदगी के पन्नों पर
उम्मीदों की स्याह से नए आयाम लिखना
अतीत की यादों को छोड़,
खुद को आगे बढ़ने को प्रेरित करना
अब अच्छा लगता है खुद की परवाह करना ।
ज़िंदगी ने सिखाया है यहाँ कोई नही अपना
छोड़ जातें हैं लोग भी साथ रहता है अकेलापन
जो कहता है हर बार मैं हूँ न तू फ़िक्र मत कर
जब-जब तन्हाई में गुम हो जाते हैं हम
मिलता है एक अलग ही सुकून,जो देता है हौंसला नया
कहता है भूल जा जो हुआ,चल उठ आगे बढ़
खुद के मन की आवाज़ को सुन
कहता है अकेलापन तुझे नहीं जरूरत किसी की,
तू खुद के लिए काफ़ी है,
अब अच्छा लगता है खुद से ही खुद की बात करना
खुद के लिए जीना खुद से खुद को समझा लिया करना ।
©Poonam Nishad
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