तन्हा शायर

तन्हा शायर

खिले मंजरो पे आम लगता है। इश्क की कहानी तमाम लगता है। जुबान से इकरार तो नहीं करता है। दिल पे मगर मेरा नाम लगता है। बहुत तजुर्बा हासिल हुई है तुम्हे। तू मुझको वक्त का इमाम लगता है।

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green-leaves भले ही हम दौलत से गरीब हैं। ख्वाहिशों से बहुत अमीर हैं हम तस्वीर का कुछ भी इल्म नहीं है। मगर किसी ख्वाब की ताबीर है हम। भटकता नहीं किसी भी सफर मे तन्हा। क्योंकि खुद कैदी खुद की जंजीर हैं हम ©तन्हा शायर

#GreenLeaves  green-leaves भले ही हम दौलत से गरीब हैं।
 ख्वाहिशों से बहुत अमीर हैं हम 

 तस्वीर का कुछ भी इल्म नहीं है।
 मगर किसी ख्वाब की ताबीर है हम।

 भटकता नहीं किसी भी सफर मे तन्हा।
 क्योंकि खुद कैदी खुद की जंजीर हैं हम

©तन्हा शायर

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13 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मेरी अच्छाई मंज़रे आम पे नहीं आता। मेरी दोस्ती कभी इंतेक़ाम पे नहीं आता। कहानी मे मैं भी शामिल हूँ मगर मेरा किरदार किसी मक़ाम पे नहीं आता ©तन्हा शायर

#SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मेरी अच्छाई मंज़रे आम पे नहीं आता।
मेरी दोस्ती कभी इंतेक़ाम पे नहीं आता।
कहानी मे मैं भी शामिल हूँ  मगर 
मेरा किरदार किसी मक़ाम पे नहीं आता

©तन्हा शायर

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14 Love

green-leaves अपने खुलुस मे कोई बदलाव नहीं है। और दूसरों से चाहत रखते हैं अदब की। ©तन्हा शायर

#GreenLeaves  green-leaves अपने खुलुस मे कोई बदलाव नहीं है।
और दूसरों से चाहत रखते हैं अदब की।

©तन्हा शायर

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9 Love

White मेरा हर फैसला क्यों मंज़रे आम तक नहीं आता। अफ़सोस किरदार भी किसी मक़ाम तक नहीं आता। मैं कितना ही झुक कर सलाम कर लूँ मेरे अपनों को मेरी कोई भी कुर्बानी किसी इनाम तक नहीं आता। दिल से दिल तक ज़ब भी निस्बत होता किसी की। सच्ची मोहब्बत भी कभी ज़बान तक नहीं आता। कई साल गुज़र ही जाती किसी को मुस्तक़िल होने में। यूँ ही कोई तहज़ीब अपने निज़ाम तक नहीं आता। हमने जिन्हें पढ़ना सिखाया हर एक लफ्ज़ को तन्हा उस के ज़ुबान मे मेरा कभी नाम तक नहीं आता। ©तन्हा शायर

#sad_quotes  White मेरा हर फैसला क्यों मंज़रे आम तक नहीं आता।
अफ़सोस किरदार भी किसी मक़ाम तक नहीं आता।

मैं कितना ही झुक कर सलाम कर लूँ मेरे अपनों को 
 मेरी कोई भी कुर्बानी किसी इनाम तक नहीं आता।

दिल से दिल तक ज़ब भी निस्बत होता किसी की।
सच्ची मोहब्बत भी कभी ज़बान तक नहीं आता।

 कई साल गुज़र ही जाती किसी को मुस्तक़िल होने में।
यूँ ही कोई तहज़ीब अपने निज़ाम तक नहीं आता।

हमने जिन्हें पढ़ना सिखाया हर एक लफ्ज़ को तन्हा 
उस के ज़ुबान मे मेरा कभी नाम तक नहीं आता।

©तन्हा शायर

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14 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वतन की चाहत मे रोज़ कई दास्तान लिखते हें। हम इस मिट्टी पे सजदे और पेशानी पे हिंदुस्तान लिखते हें। ©तन्हा शायर

#SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वतन की चाहत मे रोज़ कई दास्तान लिखते हें।
हम इस मिट्टी पे सजदे और पेशानी पे हिंदुस्तान लिखते हें।

©तन्हा शायर

#SunSet

14 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset पहले इंसान हूँ। फिर मैं एक किसान हूँ। अन्न दाता हूँ मैं। मैं ही इंसान हूँ। ©तन्हा शायर

#SunSet #SAD  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset पहले इंसान हूँ।
फिर मैं एक किसान हूँ।
अन्न दाता हूँ मैं।
मैं ही इंसान हूँ।

©तन्हा शायर

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