Poetrywithakanksha9

Poetrywithakanksha9 Lives in Agra, Uttar Pradesh, India

||°Writer ✍️°||Co-author°||Compiler||°I Motivator ||° @itsmeakankshakuls दिल की राहों को दिल से जोड़ते हैं चलो हम फिर से दिल के रिश्ते खोजते हैं

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White . #बेटियाँ बेटियाँ चावल उछाल बिना पलटे, महावर लगे कदमों से विदा हो जाती हैं । छोड़ जाती है बुक शेल्फ में, कवर पर अपना नाम लिखी किताबें । दीवार पर टंगी खूबसूरत आइल पेंटिंग के एक कोने पर लिखा अपना नाम । खामोशी से नर्म एहसासों की निशानियां, छोड़ जाती है ...... बेटियाँ विदा हो जाती हैं । रसोई में नए फैशन की क्राकरी खरीद, अपने पसंद की सलीके से बैठक सजा, अलमारियों में आउट डेटेड ड्रेस छोड़, तमाम नयी खरीदादारी सूटकेस में ले, मन आँगन की तुलसी में दबा जाती हैं ... बेटियाँ विदा हो जाती हैं। सूने सूने कमरों में उनका स्पर्श, पूजा घर की रंगोली में उंगलियों की महक, बिरहन दीवारों पर बचपन की निशानियाँ, घर आँगन पनीली आँखों में भर, महावर लगे पैरों से दहलीज़ लांघ जाती है... बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं । एल्बम में अपनी मुस्कुराती तस्वीरें , कुछ धूल लगे मैडल और कप , आँगन में गेंदे की क्यारियाँ उसकी निशानी, गुड़ियों को पहनाकर एक साड़ी पुरानी, उदास खिलौने आले में औंधे मुँह लुढ़के, घर भर में वीरानी घोल जाती हैं .... बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं। टी वी पर शादी की सी डी देखते देखते, पापा हट जाते जब जब विदाई आती है। सारा बचपन अपने तकिये के अंदर दबा, जिम्मेदारी की चुनर ओढ़ चली जाती हैं । बेटियाँ चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती हैं । (#बेटियों_को_समर्पित) ©Poetrywithakanksha9

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बेटियाँ चावल उछाल
बिना पलटे,
महावर लगे कदमों से विदा हो जाती हैं ।

छोड़ जाती है बुक शेल्फ में,
कवर पर अपना नाम लिखी किताबें ।
दीवार पर टंगी खूबसूरत आइल पेंटिंग के 
एक कोने पर लिखा अपना नाम ।
खामोशी से नर्म एहसासों की निशानियां,
छोड़ जाती है ......
बेटियाँ विदा हो जाती हैं ।

रसोई में नए फैशन की क्राकरी खरीद,
अपने पसंद की सलीके से बैठक सजा,
अलमारियों में आउट डेटेड ड्रेस छोड़,
तमाम नयी खरीदादारी सूटकेस में ले,
मन आँगन की तुलसी में दबा जाती हैं ...
बेटियाँ विदा हो जाती हैं।

सूने सूने कमरों में उनका स्पर्श,
पूजा घर की रंगोली में उंगलियों की महक,
बिरहन दीवारों पर बचपन की निशानियाँ,
घर आँगन पनीली आँखों में भर,
महावर लगे पैरों से दहलीज़ लांघ जाती है...

बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं ।

एल्बम में अपनी मुस्कुराती तस्वीरें ,
कुछ धूल लगे मैडल और कप ,
आँगन में गेंदे की क्यारियाँ उसकी निशानी,
गुड़ियों को पहनाकर एक साड़ी पुरानी,
उदास खिलौने आले में औंधे मुँह लुढ़के,
घर भर में वीरानी घोल जाती हैं ....

बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं।

टी वी पर शादी की सी डी देखते देखते,
पापा हट जाते जब जब विदाई आती है।
सारा बचपन अपने तकिये के अंदर दबा,
जिम्मेदारी की चुनर ओढ़ चली जाती हैं ।
बेटियाँ चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती 
हैं ।

(#बेटियों_को_समर्पित)

©Poetrywithakanksha9

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#विचार #snowmountain #poem  सुनो लड़कियों

ये समय प्रेम में अपने अस्तित्व को खोने का नही
अपना भविष्य बनाने का है, अपने नाम को पहचान और
माता पिता को समाज में गर्व महसूस कराने का है
प्रेम के लिए तो बहुत जीवन शेष है
परंतु ये समय अगर यूँही व्यर्थ चला गया तो
कभी वापस नहीं आयेगा इसलिए अपने ध्यान को केंद्रित करो
और पूरी मेहनत लगा दो
 क्योंकि एक स्त्री को समाज में अपना नाम बनाने के लिए 
पुरुष से कहीं ज्यादा संघर्ष करना होता है

©Poetrywithakanksha9

#snowmountain #Nojoto #Thoughts #poem

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#विचार #nojotoenglish #nojotohindi

#Nojoto #nojotohindi #nojotoenglish

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#nojotoenglish #nojotohindi #thought #Feeling #moveon  मूव ऑन दृढ़ निश्चय वाले ही कर सकते हैं
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