देखिए फ़िर बहारें तुम्हें चूमकर,,
क्या क़यामत दिखाने यहा आ गयी
देखतें हैं जिधर रौनकें है हरीं,,
धरती के जिस्म हरियाली सी छा गयी
कह रहीं हैं सुना कान देकर इन्हें,,
वस्ल ए क़ुदरत समां था चलीं आई ओ
दिल ए बै ताब था आपका भी ऐ ख़ुदा,,
इस लिए यह घटा आब बरसा गयी
©Shree Shayar
श्री
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