तोड़कर फूल डाल से काँटों को रुला कर आया हूँ
प्रेम पुष्प की इस माला को मन्नत के धागों मे पिरोकर लाया हूँ
और कोई नजर नहीं तेरे सिवा मुझको
तुझे करने पहला सलाम सब को भुलाकर आया हूँ
इस्तकबाल सबसे पहले तेरा ही करना होता है
इसीलिए तो दर पर तेरे सर को झुकाकर आया हूँ
Good Morning !!
Care and Take Care !!
©Ravikant Dushe
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