"ख़ाली सा दिल ले कर गया था उसके पास
मैं उम्मीद-ए-आशिक़ी लेकर गया था
उसके पास।
उसने तो अँधेरा थमा दिया हाथोँ में,
मैं हसरत-ए-रौशनी लेकर गया था
उसके पास।
उदास कर गया वो मुझे मुझसे दूर जाकर,
मैं तलाश-ए-ख़ुशी लेकर गया था
उसके पास।
सब वीरानियाँ मिटा देगी वो मेरे मन की,
मैं ख़ाब-ए-ज़िन्दगी लेकर गया था
उसके पास।
©V.k.Viraz
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