White इन इमारतों में बसने वाले कमाल के खुदगर्ज गल | हिंदी शायरी

"White इन इमारतों में बसने वाले कमाल के खुदगर्ज गलियारे बड़े महंगे लोन की आसान किस्तें हाथ खींचने को मजबूर खास रिश्ते मृगतृष्णा सी उलझन में हैं जरूरत सिर पर छत की कर्ज चुकाने तक ईमारत हो जाती है कमजोर पुरानी भी सबसे ऊंची छत दूर उतनी ही है आसमान से जितनी दूरी दिखती है आसमान की खाली मैदानों से सम्पत्ति के मापदंडो पर फ्लैट लंबे समय तक खरे नहीं उतरते जमीनों को बेचकर लोग इस मकड़ जाल से रहते हैं उलझते ©Babli Gurjar"

 White इन इमारतों में बसने वाले 
कमाल के खुदगर्ज गलियारे
 
बड़े महंगे लोन की आसान किस्तें 
हाथ खींचने को मजबूर खास रिश्ते 

मृगतृष्णा सी उलझन में हैं जरूरत सिर पर छत की 
कर्ज चुकाने तक ईमारत हो जाती है कमजोर पुरानी भी 

सबसे ऊंची छत दूर उतनी ही है आसमान से 
जितनी दूरी दिखती है आसमान की खाली मैदानों से 

सम्पत्ति के मापदंडो पर फ्लैट लंबे समय तक खरे नहीं उतरते 
जमीनों को बेचकर लोग इस मकड़ जाल से रहते हैं उलझते

©Babli Gurjar

White इन इमारतों में बसने वाले कमाल के खुदगर्ज गलियारे बड़े महंगे लोन की आसान किस्तें हाथ खींचने को मजबूर खास रिश्ते मृगतृष्णा सी उलझन में हैं जरूरत सिर पर छत की कर्ज चुकाने तक ईमारत हो जाती है कमजोर पुरानी भी सबसे ऊंची छत दूर उतनी ही है आसमान से जितनी दूरी दिखती है आसमान की खाली मैदानों से सम्पत्ति के मापदंडो पर फ्लैट लंबे समय तक खरे नहीं उतरते जमीनों को बेचकर लोग इस मकड़ जाल से रहते हैं उलझते ©Babli Gurjar

मृगतृष्णा @R... Ojha @Ravi Ranjan Kumar Kausik @Neel @Lalit Saxena @writer Sunita singh Arab ab tu SAB par najar Rakha kar Jodi jiski Amar banaa de usi ka Dil per Naam likha kar @Mili Saha

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