कान्हा-कान्हा रटते-रटते
तुमसे मैं हृदय लगा बैठी
दिल के अंधियारे कोने में
तेरे नाम का दीप जला बैठी
जीवन का तू हिस्सा बन जा
मैं तुझमें ही समा जाऊं
अब तो हाथ पकड ले मेरा,
तू ही बता मैं कहाॅं जाऊं।।
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©Dhaneshdwivediwriter
कान्हा-कान्हा रटते-रटते
तुमसे मैं हृदय लगा बैठी
दिल के अंधियारे कोने में
तेरे नाम का दीप जला बैठी
जीवन का तू हिस्सा बन जा
मैं तुझमें ही समा जाऊं
अब तो हाथ पकड ले मेरा
तू ही बता मैं कहाॅं जाऊं।।