White खिर्कियो से देखते थे
ख़ुश बहुत हो जाया करता था
कितने अजीज हो आप
बयान करना मुश्किल है
बिछड़ने का सिलसिला बदस्तूर जारी है
लगा था आब बस
बेरहम सी जिंदगी है ये
बहुत बेचैनिया सी थी साम से
जब से देखा हूं
मकान खाली है
है तो सभी यहाँ किराय पे
बस खामोशी ही आब हमने पाली है
बरे दिनो बाद किसी ने दिल खोल के अपनाया
बिछर गए वो भी
अब फिर से हे तन्हाई का दौर आया
अब आपको देख कर कहीं भी ख़ुश हो जाता हू
आलम तो ये है
देखे हुए भी कई दिन गुजर गए
आप खुश रहें
मुस्कुराये
और कामयाब रहे
अब और नहीं कह पाऊंगा
कितने अजीज और करीब है आप
ये कभी बयां नहीं कर पाऊंगा...
कितने अजीज और....
बरे भैय्या को समर्पित
[सुनहरे दिल के पुरुष]
डॉ दिब्येंदु भट्टाचार्जी भैय्या
©Dr kumar Shanu
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