green-leaves मैं तुम्हारे साथ रहने को कई बहाने ढूंढता हूं बहाने भी ऐसे जैसे बच्चे बहाना बनाता हो मां के सामने और मां झट से पकड़ लेती है,तुम भी तो बिल्कुल मां जैसी ही हो मां के बाद तुम्ही तो हो जो मां की तरह खयाल रखती हो लेकिन ये कहने में भी डर लग रहा मुझे की कहीं लोग ये न कहने लगे की मैं मां से तुम्हारी तुलना कर रहा हूं लेकिन लोगो का तो काम है कहना कहने दो उन्हे ,मैं जानता हूं ना तुम अपना सर्वस्व मुझ पर लूटा दी हो जैसे किसान लूटा देते हैं अपने फसलों पर ।तुम साथ रहती हो न तो मैं बेवजह भी खुश रहता हूं और नही रहती तो वजह होने पर भी चेहरे पर उदासी टिकी रहती है इसलिए मैं ढूंढते रहता हूं बहाने तुम्हारे साथ रहने को ।
©Pyare ji
#GreenLeaves Writer अdiति katha(कथा) R Ojha Ana pandey