सुनो! कहां खोए हो।
किसिकी तलास है या खुद को ढूंढ रहे हो।।
वो जो चेहरे पर झलक रहा है दर्द ,
सचमुच है क्या?या सब करते हैं इसलिए कर रहे हो।।
देखो!खुदको विरान कर लेने से कुछ नहीं होता।
सबको परेशान कर देने से कुछ नहीं होता।।
तुम्हारी चाह जहां अटकी है,
वहां भी तो कोई हलचल होनी चाहिए।।
तुम्हारे एहसासों में कोंध रही बिजलियां,
उधर भी तो कोई खलबल होनी चाहिए ।।
©Vivek Kumar Tiwari
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