अपना चिंतन अपनी कलम से~* *किसी भी पूजा-पाठ का परिण | हिंदी कविता

"अपना चिंतन अपनी कलम से~* *किसी भी पूजा-पाठ का परिणाम इंसान तभी हासिल कर सकता है,जब वह चालाकियों से परे हो*। माला सिंह(मेरठ) ©Mala Singh"

 अपना चिंतन अपनी कलम से~* *किसी भी पूजा-पाठ का परिणाम इंसान तभी हासिल कर सकता है,जब वह चालाकियों से परे हो*। 
 माला सिंह(मेरठ)

©Mala Singh

अपना चिंतन अपनी कलम से~* *किसी भी पूजा-पाठ का परिणाम इंसान तभी हासिल कर सकता है,जब वह चालाकियों से परे हो*। माला सिंह(मेरठ) ©Mala Singh

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