परछाई :-
इर्द-गिर्द मेरे दर्द-ओ-गम की परछाई है।
क्यों लुभाती मुझे बेरंग सी ये तन्हाई है?
बेहाल हुए हम ज़िंदगी के कारनामों से,
ज़ख्म दे हजार खुद पे ये तो इतराई है।
कहने को है बहुत कुछ! पर कहूं कैसे?
दास्तां मेरी!कुछ पंक्तियों की रुबाई है।
गूंजते रहे अनगिनत सवाल ज़हन में!
खामोशियों की गूंज दिल से टकराईं है।
ज़ज़्बात बयांनी को लफ़्ज़ साथ न देते,
तू देख!अल्फ़ाज़ो में कितनी गहराई है।
एहसासों से फक़त गुजारा न होगा यहां,
हर सांस की अपने करते रहे भरपाई है।
ताउम्र कहां साथ देता है कोई किसी का,
तनुजा यहां न होती गमों की सुनवाई है।
अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍
©Archana Tiwari Tanuja
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#selfrespect 17/08/2023
Waaaa kyaaaa baaat 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏 Bahooot khoob 😍 😍