भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जहाँ सभी धर्मों का समान सम्मान किया जाता है और ऐसे राष्ट्र में किसी भी धर्म के पवित्र तीर्थ स्थल को जो उस धर्म के लोगों की आस्था से जुड़ा है को मनोरंजन और पर्यटन का स्थल बनाया जाना न सिर्फ उस धर्म के लोगों की भावानाओं को आहत करता है अपितु हमारे संविधान की धर्मनिरपेक्षता की मूल भावना को भी ठेस पहुंचाता है अतः जैन तीर्थ सम्मेद शिखर जी को पर्यटन बनाये जाने के प्रस्ताव को वापस लिया जाना चाहिए और जैन समाज की भावनाओं का सम्मान और समर्थन किया जाना चाहिए
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