इक सांस है जो छूटती नहीं,
इक उम्मीद है जो कभी टूटती नही,
आज उस दौर से गुज़र रही है जिंदगी,
बिखरी हुई हूं मैं खुद मे,
ओर उसकी यादें हैं जो मुझसे सिमटती नहीं।
अगर बिखेरना ही था तो मुझे खुद मे सिमटाया क्यूं,
जो पूरा होना ही नहीं था वो ख़्वाब इन पलकों को दिखाया क्यूं,,
चलो हर गुनाह माफ़ तेरा मगर कुछ चीजों से तेरी तिज़ोरी भर ले,
जो सपने दिखाए, जो अरमान जगाए वो सारे के सारे चोरी कर ले।
©Poonam Jain
#दर्द