वापस न लौटने की ख़बर छोड़ गए हो
मैंने सुना है तुम ये शहर छोड़ गए हो
दीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे हैं
तुम मेरी ग़ज़ल में वो असर छोड़ गए हो
सारा ज़माना तुमको मुझ में ढूंढ रहा है
तुम हो की ख़ुद को जाने किधर छोड़ गए हो
दामन चुरानेवाले मुझको ये तो दे बता
क्यों मेरे पीछे अपनी नज़र छोड़ गए हो
मंजिल की है ख़बर न रास्तों का है पता
ये मेरे लिए कैसा सफर छोड़ गए हो
ले तो गए हो जान-जिगर साथ
ले जाओ अपना दिल भी अगर छोड़ गए हो।#
©Himanshu Yadav
#sparsh