कुछ पुराने पन्नें ही सही मेरी किताब के ।
मगर आज खोलें तो उसने।
और सदियों से जिसका इंतजार था हमें।
चलो थोड़े ही सही मगर कुछ शब्द बोलें तो उसने ।
और जब बोलें ऐसे बोले दिल को सुकून सा मिला।
आज भी तेरा इंतजार है, जब ये बोले, तो जुनून सा मिला।
कहने लगे तेरे इंतजार में कटती है हर रात मेरी |
सुनकर मेरी रूह को मानो खून सा मिला।
वो खुद टूटकर संभाल रहे थे हमें
हमारे ही गमों से निकाल रहे थे हमें।
वो सपना ही सही मगर सुंदर था।
ये सब कह कर जब संभाल रहे थे हमें।
©Sandip rohilla
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