White मैंने जीने की उम्मीद खो दी है, हार रहा
देखता हूँ अब, ख़ुद से कहाँ तक पहुंच रहा..!
निराशा घर कर गयीं है,अब मुझमें ही
सच में अगर नहीं निकली तो मैं अब कहाँ रहा..!
हर तरफ़ से घिर गया हूँ, अब वक़्त से
निकलना तो चाहता हूँ,यें कहाँ निकलने दें रहा..!
निराशा अब नाकामी की राह चल पड़ी
अब किसे आवाज़ दूँ,जो मुझे निकलता रहा..!
इस क़दर भी किसी को क्या टूटना है
सभी अपने है यहाँ, इनको मैं ही जोड़ता रहा..!
वक़्त नासाज़ है तो अब कोई न दिखता
ज़माना अज़ीब है,वक़्त ठीक था तो साथ रहा.!
बहुत ज़ालिम है लोग मिलकर मारते है
अब तो बचालो,क़िस क़िस को पुकारता रहा..!!
©Shreyansh Gaurav
#Thinking