क्यूँ बेसहारा ही खुद सहारा देने वाला
जिनके हाथों ने हर कदभ पर सहारा दिया जो हमारी नींद की खातीर खुद जागते रहे,न जाने कितने आंसू पीकर भी जिन्होंने हमे हँसाया।उम्र का इस मोड पर अब उन्हें हमारे सहारे के लिये मोहताज होना पडे,उनकी आँखो मे मायूसी और बैबसी हो तो फिर हमारे इस जीवन का अर्थ ही क्या है? बुजुर्गो को अपनापन सहारा दे,क्योंकि कल हमे भी इसकी जरूरत होगी।
©Jagdish Hurkat
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