"बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
हैं कहाँ मुझको वो पलकों पे बिठाने वाले
अब तो मिलते है सभी दिल ही जलाने वाले
गर ये लगता है तुम्हें हम है भुलाने वाले
तुम भी तो अब न रहे यार पुराने वाले
जान दे देंगे मुहब्बत में वो तब मानेंगे
हम नहीं लगते उन्हें वादा निभाने वाले
मिन्नतें उसकी करेगें ये उसे लगता था
हम तमाशा थे कोई और दिखाने वाले
मुंतजिर हम थे तेरे एक जमाना पहले
अब नही राह में पलकों को बिछाने वाले
सामने जिन के जुबां यार कभी तल्ख़ न की
बोल जाते हैं वही लफ्ज़ वो ताने वाले
सोग किस किस का भला तुम भी मनाओगे जलाल
वक्त के साथ चले जाते है जाने वाले
©Jalaal
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