White आख़िर इस दिल में ख़्वाहिशों कितनी है
कोई बताये मुझे कितनी मुक़म्मल होनी है..!
यें ख़्वाहिशें मुझे अब सोने नहीं देती है
अब तो इंतज़ार भी नहीं,आख़िर क्या होनी है.!
किसी नें बताया की मुक़ददर खाली है यें
आख़िर मुझसे क्या चाहिये उसे क्या होनी है.!
सब कुछ तो छोड़ दिया है अपना मैंने भी
तु ज़िस्त में मुक़म्मल नहीं फ़िर क्या होनी है..!
©Shreyansh Gaurav
#Thinking