White क्या लिखूं समझ नहीं आता?
क्यूं लिखूं वजह नहीं मिलती...।
शब्द सारे मूझसे रूठ गए हों मानो,
अल्फाजों में मुस्कान नहीं खिलती..।।
सोचती हूं क्या वो मैं थी!!
जो गजलें गाया करती थी
जो नगमें सुनाया करती थी...।
अक्सर लफ्जों को तोड़_मड़ोड़
नई कविताऐं बनाया करती थी...।
भावनाओं के वेग नहीं उमड़ते
क्या मेरा मन शिथिल हो गया है..?
कलम की चमक पे धूल पड़ी है
हर शब्द शायद धूमिल हो गया है..!
खुश हूं? अगर हां तो कितनी हूं!!
कौन खो गया मेरा मैं किसे ढूंढती हूं??
क्या तुम जाते हुए मेरा हूनर चुरा ले गए!!
तुम चोर दिखते हो जब भी आँखें मूंदती हूं।।
अंखमिचौली कब तलक आखिर..!
एक वक्त था जब तुम्हें देख कर ही जीते थे।
मंजिले अलग थी थे रास्ते भी अलग...,
अपने हिस्से के आंसू चलो अब अकेले पीते हैं।
भूले से ही दिख जाया करो कहीं तो..,
यार कभी_कभार हम तूझको बहुत ढूंढते हैं।
©Anjuu
#sad_shayari
अपने आज में आगे भी बढ़ गई हूं
और तूझे पीछे छोड़ भी न पाई हूं
Deep pain 👏 👏