आप सबकी सोच अलग है,
इसमें मेरी गलती ही क्या ?
आपके जैसे मैं ही क्यों बनू,
मेरे जैसे आप सब कभी बनेंगे क्या ?
मैं सब जगह गलत हूं,
तो आप भी हर जगह सही हैं क्या ?
सारे इल्ज़ाम लगाते हो मुझ पर,
आप सभी बेकसूर हैं क्या ?
अपनेपन चाहते हो मुझसे,
मुझे कभी अपना माना है क्या ?
दिखावे की फिक्र जताते हो,
मेरे दिल की हाल कभी पूछा है क्या ?
गैरों के जैसे बर्ताव है आप सभी के,
तो फिर यह रिश्ता मैं अकेली ही निभाऊं क्या ?
आप सबकी सोच अलग है,
इसमें मेरी गलती ही क्या ?
©Lili Dey
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