आप सबकी सोच अलग है, इसमें मेरी गलती ही क्या ? आपके | हिंदी Shayari

"आप सबकी सोच अलग है, इसमें मेरी गलती ही क्या ? आपके जैसे मैं ही क्यों बनू, मेरे जैसे आप सब कभी बनेंगे क्या ? मैं सब जगह गलत हूं, तो आप भी हर जगह सही हैं क्या ? सारे इल्ज़ाम लगाते हो मुझ पर, आप सभी बेकसूर हैं क्या ? अपनेपन चाहते हो मुझसे, मुझे कभी अपना माना है क्या ? दिखावे की फिक्र जताते हो, मेरे दिल की हाल कभी पूछा है क्या ? गैरों के जैसे बर्ताव है आप सभी के, तो फिर यह रिश्ता मैं अकेली ही निभाऊं क्या ? आप सबकी सोच अलग है, इसमें मेरी गलती ही क्या ? ©Lili Dey"

 आप सबकी सोच अलग है,
इसमें मेरी गलती ही क्या ?
आपके जैसे मैं ही क्यों बनू,
मेरे जैसे आप सब कभी बनेंगे क्या ?
मैं सब जगह गलत हूं,
तो आप भी हर जगह सही हैं क्या ? 
सारे इल्ज़ाम लगाते हो मुझ पर,
आप सभी बेकसूर हैं क्या ?
अपनेपन चाहते हो मुझसे,
मुझे कभी अपना माना है क्या ?
दिखावे की फिक्र जताते हो,
मेरे दिल की हाल कभी पूछा है क्या ?
गैरों के जैसे बर्ताव है आप सभी के,
तो फिर यह रिश्ता मैं अकेली ही निभाऊं क्या ?
आप सबकी सोच अलग है,
इसमें मेरी गलती ही क्या ?

©Lili Dey

आप सबकी सोच अलग है, इसमें मेरी गलती ही क्या ? आपके जैसे मैं ही क्यों बनू, मेरे जैसे आप सब कभी बनेंगे क्या ? मैं सब जगह गलत हूं, तो आप भी हर जगह सही हैं क्या ? सारे इल्ज़ाम लगाते हो मुझ पर, आप सभी बेकसूर हैं क्या ? अपनेपन चाहते हो मुझसे, मुझे कभी अपना माना है क्या ? दिखावे की फिक्र जताते हो, मेरे दिल की हाल कभी पूछा है क्या ? गैरों के जैसे बर्ताव है आप सभी के, तो फिर यह रिश्ता मैं अकेली ही निभाऊं क्या ? आप सबकी सोच अलग है, इसमें मेरी गलती ही क्या ? ©Lili Dey

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