green-leaves बिखरते हुए को एक मकान मिल जाए हम तो | हिंदी Poetry

"green-leaves बिखरते हुए को एक मकान मिल जाए हम तो चांद तारों की बात नहीं करते कर दे कोई गुस्ताख़ी आबरू की तो जिंदा दफन कर,दिन से रात नहीं करते मिले बहुत कमियां निकालने वाले किसी से उम्मीदों की शुरुआत नहीं करते हमसे है दम ,हममे है दम ,हम कर दिखाएंगे हम बिन मौसम बरसात नहीं करते और हां कह दे कोई तो दर्द ए दिल सुनाऊं अगर दे दी शह तो फिर मात नहीं करते।। ©Shilpa Yadav"

 green-leaves बिखरते हुए को एक मकान मिल जाए 
हम तो चांद तारों की बात नहीं करते
कर दे कोई गुस्ताख़ी आबरू की तो
जिंदा दफन कर,दिन से रात नहीं करते 
मिले बहुत कमियां निकालने वाले 
किसी से उम्मीदों की शुरुआत नहीं करते
हमसे है दम ,हममे है दम ,हम कर दिखाएंगे
हम बिन मौसम बरसात नहीं करते
और हां कह दे कोई तो दर्द ए दिल सुनाऊं
अगर दे दी शह तो फिर मात नहीं करते।।

©Shilpa Yadav

green-leaves बिखरते हुए को एक मकान मिल जाए हम तो चांद तारों की बात नहीं करते कर दे कोई गुस्ताख़ी आबरू की तो जिंदा दफन कर,दिन से रात नहीं करते मिले बहुत कमियां निकालने वाले किसी से उम्मीदों की शुरुआत नहीं करते हमसे है दम ,हममे है दम ,हम कर दिखाएंगे हम बिन मौसम बरसात नहीं करते और हां कह दे कोई तो दर्द ए दिल सुनाऊं अगर दे दी शह तो फिर मात नहीं करते।। ©Shilpa Yadav

#GreenLeaves #poetrybyshilpayadav #shilpayadavpoetry Vishalkumar "Vishal" @Sethi Ji @Ravi Ranjan Kumar Kausik @ANOOP PANDEY @Shiv Narayan Saxena

People who shared love close

More like this

Trending Topic