कैद में खुद की ही व्याकुल रहते हैं आजकल चतुर सिया | हिंदी शायरी

"कैद में खुद की ही व्याकुल रहते हैं आजकल चतुर सियार इसको ठगते उसको ठगते ढूंढते रहते हैं नित्य नए नए शिकार अंत में जोड़ने बैठे जो सारा हिसाब कई कई बार जोड़ कर भी रहे खाली हाथ बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 कैद में खुद की ही व्याकुल रहते हैं 
आजकल चतुर सियार
इसको ठगते उसको ठगते ढूंढते रहते हैं 
नित्य नए नए शिकार
अंत में जोड़ने बैठे जो सारा हिसाब 
कई कई बार जोड़ कर भी रहे खाली हाथ
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

कैद में खुद की ही व्याकुल रहते हैं आजकल चतुर सियार इसको ठगते उसको ठगते ढूंढते रहते हैं नित्य नए नए शिकार अंत में जोड़ने बैठे जो सारा हिसाब कई कई बार जोड़ कर भी रहे खाली हाथ बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

चाँदनी @Ashutosh Mishra @R Ojha @Ravi Ranjan Kumar Kausik @SIDDHARTH.SHENDE.sid पूजा सक्सेना ‘पलक’

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