White मुक़ददर, मुक़ददर, मुक़ददर खाली है
ख़ुद के बारे में सब ख़बर है, कुछ मिलना नहीं है..!
देख कोई यें आश्चर्य वाली बात कहाँ है
हतप्रभ वें होते है, जिनको कुछ पता नहीं है..!
अब नहीं है तो क्या करें, चीर दें हथेली
देख मेरे पास हाथ तो है,पर लकीर ही नहीं है..!
अब किसी से शिकायत कैसी,पता है
देख बस जी रहा हूँ मैं,यें कोई ज़िन्दगी नहीं है..!
मुझे कम पढ़ो,नफरत हो जायेगी तुम्हें
मुझे क्या देखते हो मेरी ज़िन्दगी,ज़िन्दगी नहीं है..!
अब तमन्ना नहीं रहीं कुछ पाने की मुझे
सच बता रहा, जो चाहता हूँ वो मिलता नहीं है..!
©Shreyansh Gaurav
#Thinking