दिल को फुर्सत नही देनी है, कहीं लगने की मोहलत नही | हिंदी कविता

"दिल को फुर्सत नही देनी है, कहीं लगने की मोहलत नही देनी है। इश्क़ मुह लगा तो सब तबाह समझो, हाथोँ में शोख़ कि पुस्तक नही देनी है। यूहीं चलाने दो काम किसी का हुए बग़ैर, तन्हा ठीक है सोहबत नही देनी है। कुछ हदतक दिल ए नादां की सुनो, ज़्यादा इज़्ज़त नही देनी है। ©V.k.Viraz"

 दिल को फुर्सत नही देनी है,
कहीं लगने की मोहलत नही देनी है।
इश्क़ मुह लगा तो सब तबाह समझो,
हाथोँ में शोख़ कि पुस्तक नही देनी है।

यूहीं चलाने दो काम किसी का हुए बग़ैर,
तन्हा ठीक है सोहबत नही देनी है।
कुछ हदतक दिल ए नादां की सुनो,
ज़्यादा इज़्ज़त नही देनी है।

©V.k.Viraz

दिल को फुर्सत नही देनी है, कहीं लगने की मोहलत नही देनी है। इश्क़ मुह लगा तो सब तबाह समझो, हाथोँ में शोख़ कि पुस्तक नही देनी है। यूहीं चलाने दो काम किसी का हुए बग़ैर, तन्हा ठीक है सोहबत नही देनी है। कुछ हदतक दिल ए नादां की सुनो, ज़्यादा इज़्ज़त नही देनी है। ©V.k.Viraz

#walkalone Shilpa Yadav @Pushpvritiya Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ @vineetapanchal @Sonu Goyal

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