White ख्वहिशो की गिरह खोल तू जरा मिल जायेगी मज़िल त | हिंदी Poetry

"White ख्वहिशो की गिरह खोल तू जरा मिल जायेगी मज़िल तुझको ना सोच बेफिकर हो जींदगी जी तू जरा दिलों को दिलों से जोड़ तू जरा काश मिल जाता उस मोड़ पे कोई तू आस का धागा जोड़ तू जरा प्यारा सा लगता था कोई तुझे जो आज फिर उस से नाता जोड़ तो जरा बेसब्री को हटा खुद मै खुद को पा ले ये पहेली सुलझा तू जरा दिल से दुर यूँ कोई जाता नही है पास आने का कोई बहना सोच तो जरा दिल तो दरिया ही है तू दरिया से पार जाने का हुनर सिख तो जरा ना लगा बन्दिश खुद पे उड आजाद पँछी सा जरा ©POONAM SHARMA"

 White ख्वहिशो की गिरह खोल तू जरा
मिल जायेगी मज़िल तुझको  
ना सोच बेफिकर हो जींदगी  जी तू जरा 
दिलों को दिलों से जोड़ तू जरा 
काश मिल जाता उस मोड़ पे कोई 
तू आस का धागा जोड़ तू जरा 
प्यारा सा लगता था कोई तुझे जो 
आज फिर उस से नाता जोड़ तो जरा 
बेसब्री को हटा खुद मै खुद को पा ले 
 ये पहेली सुलझा तू जरा 
दिल से दुर यूँ कोई जाता नही है 
पास आने का कोई बहना सोच तो जरा 
दिल तो दरिया ही है 
तू  दरिया से पार जाने का हुनर सिख तो जरा 
ना लगा बन्दिश खुद पे 
उड  आजाद पँछी सा जरा

©POONAM SHARMA

White ख्वहिशो की गिरह खोल तू जरा मिल जायेगी मज़िल तुझको ना सोच बेफिकर हो जींदगी जी तू जरा दिलों को दिलों से जोड़ तू जरा काश मिल जाता उस मोड़ पे कोई तू आस का धागा जोड़ तू जरा प्यारा सा लगता था कोई तुझे जो आज फिर उस से नाता जोड़ तो जरा बेसब्री को हटा खुद मै खुद को पा ले ये पहेली सुलझा तू जरा दिल से दुर यूँ कोई जाता नही है पास आने का कोई बहना सोच तो जरा दिल तो दरिया ही है तू दरिया से पार जाने का हुनर सिख तो जरा ना लगा बन्दिश खुद पे उड आजाद पँछी सा जरा ©POONAM SHARMA

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