सोच कर निकले होंगे वो लोग , उन सबको तो बस घर जाना | हिंदी Poetry

"सोच कर निकले होंगे वो लोग , उन सबको तो बस घर जाना है। किसी को ऐसा मालूम नही था , अब तो उनको मर जाना है। कितनो के दिल रोए होंगे , कितनो ने अपने खोये होंगे। कितनो की आँखे भीगीं होंगी , जब ऐसी दुखद खबर पाई होगी। क्या बीती होगी उन लोगो पर , जिन्होंने यह नजारा देखा होगा। जब टैंकरों ने आपस में टकराकर , आग की लपटें फेका होगा। बिखरे मन को अंदर ही अंदर , खुद से अब डर जाना है। किसी को ऐसा मालूम न था , अब तो उनको मर जाना है। - आचमन चित्रांशी jaipurnews ©Achman Chitranshi"

 सोच कर निकले होंगे वो लोग ,
उन सबको तो बस घर जाना है।
किसी को ऐसा मालूम नही था ,
अब तो उनको मर जाना है।

कितनो के दिल रोए होंगे ,
कितनो ने अपने खोये होंगे।
कितनो की आँखे भीगीं होंगी ,
जब ऐसी दुखद खबर पाई होगी।

क्या बीती होगी उन लोगो पर , 
जिन्होंने यह नजारा देखा होगा।
जब टैंकरों ने आपस में टकराकर ,
आग की लपटें फेका होगा।

बिखरे मन को अंदर ही अंदर ,
 खुद से अब डर जाना है।
किसी को ऐसा मालूम न था ,
अब तो उनको मर जाना है।

 - आचमन चित्रांशी

jaipurnews

©Achman Chitranshi

सोच कर निकले होंगे वो लोग , उन सबको तो बस घर जाना है। किसी को ऐसा मालूम नही था , अब तो उनको मर जाना है। कितनो के दिल रोए होंगे , कितनो ने अपने खोये होंगे। कितनो की आँखे भीगीं होंगी , जब ऐसी दुखद खबर पाई होगी। क्या बीती होगी उन लोगो पर , जिन्होंने यह नजारा देखा होगा। जब टैंकरों ने आपस में टकराकर , आग की लपटें फेका होगा। बिखरे मन को अंदर ही अंदर , खुद से अब डर जाना है। किसी को ऐसा मालूम न था , अब तो उनको मर जाना है। - आचमन चित्रांशी jaipurnews ©Achman Chitranshi

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