सोच कर निकले होंगे वो लोग ,
उन सबको तो बस घर जाना है।
किसी को ऐसा मालूम नही था ,
अब तो उनको मर जाना है।
कितनो के दिल रोए होंगे ,
कितनो ने अपने खोये होंगे।
कितनो की आँखे भीगीं होंगी ,
जब ऐसी दुखद खबर पाई होगी।
क्या बीती होगी उन लोगो पर ,
जिन्होंने यह नजारा देखा होगा।
जब टैंकरों ने आपस में टकराकर ,
आग की लपटें फेका होगा।
बिखरे मन को अंदर ही अंदर ,
खुद से अब डर जाना है।
किसी को ऐसा मालूम न था ,
अब तो उनको मर जाना है।
- आचमन चित्रांशी
jaipurnews
©Achman Chitranshi
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