Achman Chitranshi

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#कवि #लेखक एक नही सौ बार लिखूंगा , अब तो मै अंगार लिखूंगा। - आचमन चित्रांशी

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इत्तेफाकन यूं लोगों का शोर होता जा रहा , बादलों का पहरा भी घनघोर होता जा रहा। अनिष्टता का गंतव्य मिट जाएगा संसार से , चीर कर अंधेरे को नया सवेरा आ रहा है। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi

#Shayar #Poet #Sun  इत्तेफाकन यूं लोगों का शोर होता जा रहा ,
बादलों का पहरा भी घनघोर होता जा रहा।
अनिष्टता का गंतव्य मिट जाएगा संसार से ,
चीर कर अंधेरे को नया सवेरा आ रहा है।

                                           - आचमन चित्रांशी

©Achman Chitranshi

बातों में तुम ऐसी दरकार चाहते हो , अपने मन मर्जी की सरकार चाहते हो। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi

#Shayar #udaasi #Poet  बातों में तुम ऐसी दरकार चाहते हो ,
अपने मन मर्जी की सरकार चाहते हो।

                                      - आचमन चित्रांशी

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सोच कर निकले होंगे वो लोग , उन सबको तो बस घर जाना है। किसी को ऐसा मालूम नही था , अब तो उनको मर जाना है। कितनो के दिल रोए होंगे , कितनो ने अपने खोये होंगे। कितनो की आँखे भीगीं होंगी , जब ऐसी दुखद खबर पाई होगी। क्या बीती होगी उन लोगो पर , जिन्होंने यह नजारा देखा होगा। जब टैंकरों ने आपस में टकराकर , आग की लपटें फेका होगा। बिखरे मन को अंदर ही अंदर , खुद से अब डर जाना है। किसी को ऐसा मालूम न था , अब तो उनको मर जाना है। - आचमन चित्रांशी jaipurnews ©Achman Chitranshi

#leafbook #Jaipur #Shayar #poems  सोच कर निकले होंगे वो लोग ,
उन सबको तो बस घर जाना है।
किसी को ऐसा मालूम नही था ,
अब तो उनको मर जाना है।

कितनो के दिल रोए होंगे ,
कितनो ने अपने खोये होंगे।
कितनो की आँखे भीगीं होंगी ,
जब ऐसी दुखद खबर पाई होगी।

क्या बीती होगी उन लोगो पर , 
जिन्होंने यह नजारा देखा होगा।
जब टैंकरों ने आपस में टकराकर ,
आग की लपटें फेका होगा।

बिखरे मन को अंदर ही अंदर ,
 खुद से अब डर जाना है।
किसी को ऐसा मालूम न था ,
अब तो उनको मर जाना है।

 - आचमन चित्रांशी

jaipurnews

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White पर्वतो को निहारते हुए ज़माने निकल गए, बातो में आजकल अफ़साने निकल गए। नयी किताब पढ़ रहे थे बड़े दिनों बाद आज, उस किताब में कुछ शब्द पुराने निकल गए। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi

#sad_quotes #Shayar #Poet #poem  White पर्वतो को निहारते हुए ज़माने निकल गए, 
बातो में आजकल अफ़साने निकल गए।
नयी किताब पढ़ रहे थे बड़े दिनों बाद आज,
उस किताब में कुछ शब्द पुराने निकल गए।

                                               - आचमन चित्रांशी

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सच को लिखने वाले थोड़ा कम है , झूठ लिखने वाले अखबार बहुत है। हम अपनी चिंता इसलिए नही करते , बुराई खोजने वाले पहरेदार बहुत है। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi

#walkingalone #Shayar #Poet  सच को लिखने वाले थोड़ा कम है ,
झूठ लिखने वाले अखबार बहुत है।
हम अपनी चिंता इसलिए नही करते ,
बुराई खोजने वाले पहरेदार बहुत है।

                                           - आचमन चित्रांशी

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कलाबाजियों का कुछ तो हुजूम रहने दो , वार्तालाप हमारी अब मखदूम रहने दो। साझेदारी का दौर चल रहा है आजकल , अंश पत्रों की पूंजी को मशहूर रहने दो। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi

#Sunhera #Shayar #Poet  कलाबाजियों का कुछ तो हुजूम रहने दो ,
वार्तालाप हमारी अब मखदूम रहने दो।
साझेदारी का दौर चल रहा है आजकल ,
अंश पत्रों की पूंजी को मशहूर रहने दो।

                                        - आचमन चित्रांशी

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