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मुझे तो किसी धर्म में कोई फर्क नहीं दिखता! सभी धर्म का एक ही हाल हैं! यह आओ ऐसा करो वेसा करों, सभी की यही पुकार हैं! जरा सम्मान देदो तो सोच लेते हैं, लोग अपने धर्म से परेशान हैं! क्यों इतनी हाय तौबा हैं, क्यों इतनी असुरक्षा हैं! और क्यों कुछ समय बाद वही जकरण का एहसास है जो मेरे धर्म से बरकरार हैं ©नीर

#Religion  मुझे तो किसी धर्म में कोई फर्क नहीं दिखता! 
सभी धर्म का एक ही हाल हैं! 
यह आओ ऐसा करो वेसा करों, 
सभी की यही पुकार हैं! 
जरा सम्मान देदो तो सोच लेते हैं, 
लोग अपने धर्म से परेशान हैं! 
क्यों इतनी हाय तौबा हैं, 
क्यों इतनी असुरक्षा हैं! 
और क्यों कुछ समय बाद
वही जकरण का एहसास है
जो मेरे धर्म से बरकरार हैं

©नीर

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କର୍ମ ଧର୍ମ ଦିବ୍ୟ ବିଚାର ନିତି ସଙ୍ଗତେ ରହି, ହରି ପ୍ରାପ୍ତି ହୁଏ ସ୍ୱାଧ୍ୟାୟେ ହୃଦେ ତଟିନୀ ବହି । ***** ©ସୁଜିତ୍ କୁମାର ମିଶ୍ର

#କବିତା #Religion  କର୍ମ ଧର୍ମ ଦିବ୍ୟ ବିଚାର ନିତି ସଙ୍ଗତେ ରହି, 
ହରି ପ୍ରାପ୍ତି ହୁଏ ସ୍ୱାଧ୍ୟାୟେ ହୃଦେ ତଟିନୀ ବହି   ।
       *****

©ସୁଜିତ୍ କୁମାର ମିଶ୍ର

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ईट का जवाब पत्थर से दोगे तो पत्थर का जवाब क्या पहाड़ उखाड़ कर दोगे बंद करो यार ये ज्ञानी, जाति, धर्म पे बात बात पर लड़ना झगरना यार हम इंसान है इंसान बनकर नहीं रह सकते? प्रेम, आदर, भाव, सम्मान से ©HARIBHAI GOHIL

#विचार #Religion  ईट का जवाब पत्थर से दोगे 
तो पत्थर का जवाब क्या पहाड़ उखाड़ कर दोगे 
बंद करो यार ये ज्ञानी, जाति, धर्म पे बात बात पर लड़ना झगरना
यार हम इंसान है इंसान बनकर नहीं रह सकते?
प्रेम, आदर, भाव, सम्मान से

©HARIBHAI GOHIL

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धर्म की वो बात कर रहे हैं इंसानियत पर विश्वाशघात कर रहे हैं.... लड़ाते फिर रहे हैं वो सड़को पर और खामोशी याद कर रहे हैं.... YASH ©Jazbaati Shayar

#शायरी #Religion  धर्म की वो बात कर रहे हैं इंसानियत पर विश्वाशघात कर रहे हैं....

लड़ाते फिर रहे हैं वो सड़को पर और खामोशी याद कर रहे हैं.... 

YASH

©Jazbaati Shayar

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आजकल के संदर्भ में .......... किसी भी धर्म का पर्याय ईश्वर नहीं हो सकता| किसी भी धर्म के मूल में ईश्वर नहीं होता| बल्कि किसी भी धर्म की आधारशिला सत्य, न्याय, अंहिसा, प्रेम और शांति होती है|किसी भी धर्म विशेष का प्रतीक कोई ईश्वर विशेष नहीं हो सकता| और अगर किसी धर्म विशेष का प्रतीक और प्रचारक कोई ईश्वर विशेष है तब जन्म लेती है कट्टरता|और धर्म विशेष से धर्म अर्थात (सत्य,न्याय,अहिंसा, प्रेम और शांति) निकल जाता है और बच जाता है केवल 'विशेष', विशेष रीति रिवाजों, रस्मों का ताना-बाना| और धर्म, धर्म न हो करके बन जाता है बस प्रक्रिया मात्र| और उस प्रक्रिया में उलझकर या उलझाकर घटित होते हैं या फिर अंजाम दिये जाते हैं सारे तरह के पाखंड| ©Rudra magdhey Abhijeet

#Religion  आजकल के संदर्भ में
.......... 
किसी भी धर्म का पर्याय ईश्वर नहीं हो सकता| किसी भी धर्म के मूल में ईश्वर नहीं होता| बल्कि किसी भी धर्म की आधारशिला सत्य, न्याय, अंहिसा, प्रेम और शांति होती है|किसी भी धर्म विशेष का प्रतीक कोई ईश्वर विशेष नहीं हो सकता| और अगर किसी धर्म विशेष का प्रतीक और प्रचारक कोई ईश्वर विशेष है तब जन्म लेती है कट्टरता|और धर्म विशेष से धर्म अर्थात (सत्य,न्याय,अहिंसा, प्रेम और शांति) निकल जाता है और बच जाता है केवल 'विशेष', विशेष रीति रिवाजों, रस्मों का ताना-बाना| और धर्म, धर्म न हो करके बन जाता है बस प्रक्रिया मात्र| और उस प्रक्रिया में उलझकर या उलझाकर घटित होते हैं या फिर अंजाम दिये जाते हैं सारे तरह के पाखंड|

©Rudra magdhey Abhijeet

विचारों की गठरी में से #Religion

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वो क्यों चाहेंगें कि, हम सब अमन से जी लें, हमारी जंग से जिनकी सरकार चलती है। ©Brijesh Maurya

#Religion #Quotes  वो क्यों चाहेंगें कि, हम सब अमन से जी लें,

हमारी जंग से जिनकी सरकार चलती है।

©Brijesh Maurya

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