Mothers Day shayari
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#iamlonelyloverboy #lovewithfamily #Samastipur #friends #Quotes #bihar  उधार की ज़िन्दगी पे क्यो घमंड किया जाए
ज़ब ज़िन्दगी माँ बाप का दिया हुआ हैं
तो फ़िर माँ बाप से क्या शौदा किया जाए
की मोहब्बत तो हुई हैं तुम्हें किसी से
पर माँ बाप के प्यार के आगे
किसी और के प्यार का क्या मोल हैं यारों

©Abhishek Sharma

"MAA" kaise bayan karu main teri tarifein Alfaz kam par jayenge Maa .. Kaise Sukhriya karu Rabb ka Jisne mujhe teri Aulad banaya hein... Meri khatir tera wo raat raat jaghna, Har din meri pasand ki khana banana Meri har chahat ko puri karna, Khud takleef sehke bhi, tune mujhe mehfuz rakha... Shuna hein teri paw tale jannat hein Par kaise main sari hisap lotayungi, Teri aehsan ke palle joh hein itna bhari .. Teri bholi surat,teri chehre ki muskan Kafi hein maa jeene ke khatir, Tu joh bolti he tujhe English nhi aati par hume tune hi to English parna sikhya, Maa ab tu meri jimedari hein, Umar ke sath tu banti jaa rehi hein bacchi Bas ab bari hein meri teri Maa banne ki .. ©Najnin Ahmed

#MothersDay #maa  "MAA"
kaise bayan karu main teri tarifein 
Alfaz kam par jayenge Maa ..
Kaise Sukhriya karu Rabb ka
Jisne mujhe teri Aulad banaya hein...

Meri khatir tera wo raat raat jaghna,
Har din meri pasand ki khana banana
Meri har chahat ko puri karna,
Khud takleef sehke bhi,
tune mujhe mehfuz rakha...
Shuna hein teri paw tale jannat hein
Par kaise main sari hisap lotayungi,
Teri aehsan ke palle joh hein itna bhari ..

Teri bholi surat,teri chehre ki muskan
Kafi hein maa jeene ke khatir,
Tu joh bolti he tujhe English nhi aati
par hume tune hi to English parna sikhya, 
Maa ab tu meri jimedari hein,
Umar ke sath tu banti jaa rehi hein bacchi
Bas ab bari hein meri teri Maa banne ki ..

©Najnin Ahmed

#MothersDay #maa

16 Love

میںنے جنت کا تو منظر نہیں دیکھا ہے مگر ماء کی آغوش میں سر رکھ کے رویا ضرور ہوں ہوں میں بے خبر وہاں جو سکون میسر ہوگا مگر ماء کے قدموں کو میں تکیا بنا کر سویا ضرور ہوں. ©م ح س ن

#MothersDay  میںنے جنت کا تو منظر نہیں دیکھا ہے مگر
ماء کی آغوش میں سر رکھ کے رویا ضرور ہوں
ہوں میں بے خبر وہاں جو سکون میسر ہوگا مگر
ماء کے قدموں کو میں تکیا بنا کر سویا ضرور ہوں.

©م ح س ن

#MothersDay

15 Love

#ਪਿਆਰ #MothersDay  ਮਾਂ ਸਭ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਇਕ
ਘੂਰ ਵੀ ਲੈਂਦੀ ਮਾਰ ਵੀ ਲੈਂਦੀ
ਫਿਰ ਵੀ ਨਾਲ ਲਾ ਲੈਂਦੀ ਹਿਕ 
ਇਕ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਜੋ ਸਭ ਤੋਂ ਨਿਆਰੀ
ਜੋ ਲਗਦੀ ਹੈ ਸਭਨਾਂ ਨੂੰ ਪਿਆਰੀ 
ਉਸਦੇ ਬੋਲੇ ਬੋਲਾਂ ਨਾਲ 
ਸਮਝ ਜਾਈਏ ਵਾਲ ਵਾਲ
ਸੁਣਾ ਦੇਈ ਏ ਆਪਣੇ ਆਪਣੇ ਦਿਲ ਦਾ ਹਾਲ

©sukhvir Kaur

#MothersDay

186 View

तुम कब साथ से, सिर्फ दिल में रह गई पता न चला। तुम कब हकीकत से, ख्वाब बन गई पता न चला। कभी हर पल साथ होती थीं, सुरक्षा कवच की तरह हर बुराई से बचाती, तो कभी उलझन में पड़ने पर सही रास्ता दिखाती थी, कभी गिर पड़ती तो चोट पर मरहम लगाती और फिर से खड़े होने का हौसला देती। कभी डांट कर, तो कभी दुलार करके, अपनी परवाह और प्यार लुटाती। कब वो ममता भरा हाथ दूर हो गया, पता न चला। तुम कब हकीकत से ख्वाब बन गई, पता न चला। जब कभी आंखों में आंसू आते, तो अपने सीने से लगा लेती और अपने आंचल से आंसू पोंछ कर खूब लाड़ करती, कभी बेचैन होती तो अपनी गोद में सुला कर, ममता भरा हाथ सिर में फेर देती उस सुकून, उस गोद के लिए, कब तड़पने लगे पता न चला। तुम कब हकीकत से, ख्वाब बन गई पता न चला। कभी-कभी बातों ही बातों में जिंदगी की बड़ी से बड़ी सीख दे दे जाती, तो कभी कहानी के रूप में बड़ी से बड़ी समस्या का हल बता देती, जब कभी अनजाने या नादानी में, कोई गलती या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचा देते, तो प्यार से अपने पास बुला कर समझाती, जिंदगी जीने का सलीका सिखा कर कब खुद बहुत दूर चली गई, पता न चला। तुम कब हकीकत से ख्वाब बन गई, पता न चला कभी लगता है कल ही की तो बात थी, जब सब साथ हंसते खेलते और शैतानियां करते थे और आप हमें डांट दिया करती थी, कब वो पल सिर्फ याद बन कर रह गए, पता न चला। तुम कब हकीकत से ख्वाब बन गई, पता न चला। तुम कब साथ से सिर्फ दिल में रह गई, पता न चला। तुम कब हकीकत से ख्बाव बन गई, पता न चला। ©Pragati Pushparaj

#Mothersdayspecial #कविता #emotionsMemory  तुम कब साथ से, सिर्फ दिल में रह गई पता न चला।
तुम कब हकीकत से, ख्वाब बन गई पता न चला।
कभी हर पल साथ होती थीं,
 सुरक्षा कवच की तरह हर बुराई से बचाती,
तो कभी उलझन में पड़ने पर सही रास्ता दिखाती थी,
कभी गिर पड़ती तो चोट पर मरहम लगाती और फिर से खड़े होने का हौसला देती।
कभी डांट कर, तो कभी दुलार करके, अपनी परवाह और प्यार लुटाती।
कब वो ममता भरा हाथ दूर हो गया, पता न चला।
तुम कब हकीकत से ख्वाब बन गई, पता न चला।
जब कभी आंखों में आंसू आते,
 तो अपने सीने से लगा लेती
और अपने आंचल से आंसू पोंछ कर खूब लाड़ करती,
कभी बेचैन होती तो अपनी गोद में सुला कर, ममता भरा हाथ सिर में फेर देती
उस सुकून, उस गोद के लिए, कब तड़पने लगे पता न चला।
तुम कब हकीकत से, ख्वाब बन गई पता न चला।
कभी-कभी बातों ही बातों में जिंदगी की बड़ी से बड़ी सीख दे दे जाती,
तो कभी कहानी के रूप में बड़ी से बड़ी समस्या का हल बता देती,
जब कभी अनजाने या नादानी में, कोई गलती या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचा देते,
तो प्यार से अपने पास बुला कर समझाती,
जिंदगी जीने का सलीका सिखा कर कब खुद बहुत दूर चली गई, पता न चला।
तुम कब हकीकत से ख्वाब बन गई, पता न चला
कभी लगता है कल ही की तो बात थी,
जब सब साथ हंसते  खेलते और शैतानियां करते थे और आप हमें डांट दिया करती थी,
कब वो पल सिर्फ याद बन कर रह गए, पता न चला।
तुम कब हकीकत से ख्वाब बन गई, पता न चला।
तुम कब साथ से सिर्फ दिल में रह गई, पता न चला।
तुम कब हकीकत से ख्बाव बन गई, पता न चला।

©Pragati Pushparaj
#Streaks #Mother #streak  शक्ति का अर्थ तुम मां ।
साहस का पर्याय तुम मां ‌।।
सहनशीलता का अध्याय तुम मां ‌।
ममता का अभिप्राय तुम मां‌‌ ।।
जब लौटुं कार्य से तो स्वत: हो जाता तेरा स्मरण ।
मन आ बैठना चाहता है तेरे सानिध्य में‌।
चाहे कर लु मैं कितना ही क्युं ना दिग भ्रमण।।
तुम्हारे इस अवतरण दिवस पर ।
शुभकामनाएं क्या दुं और क्या ना दुं ।
बस मेरा तुझको नमन मेरा तुझको नमन ।।

©"विभर्षी" रंजेश सिंह
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