जब वो मिलेगी तो उसे रूबरू कराऊंगा अपने हालातों से,
बिठाऊंगा दरिया किनारे मिलवाऊंगा अपने जज्बातों से,
खुली किताब कर दूंगा अपनी जवानी को सब कुछ बताऊंगा बिन बोले अल्फाजों से,
हर वक्त नजर आती है वो ये भी सत्यापित कर दूंगा
मुट्ठी भर लम्हों में अब तक के सारे सपने पीरो दूंगा,
हर वक्त रहूंगा संग उसके खुद को उसमें खो दूंगा,
हां मोहब्बत है उससे हृदय की बात आज मैं आधारों से बोल दूंगा।।
©Mauryavanshi Veer
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