आरज़ू आरजू ये थी के अब ये उम्र तेरे साथ ही गुजरे !
मगर हर आरजू पूरी हो जरूरी तोह नही !
अब जो मेरी दम भी निकलेगी तोह तुझे खबर तक न होगी !
के छोड़ तुझे कभी मैं इस क़दर चला जाऊंगा !
..निधि..
आरज़ू हर आरजू की इंतहा नहीं होती,
जब तक वह दिल के कोने से नहीं निकली होती,
रूह भी कांप जाती है जब निकलती है ऐसी आरजू,
खुद खुदा भी पूरा करने लग जाता है साथ में।।
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