जिसे अनदेखा कर फिर देखना चाहोगे,
जमाने से पड़ा मेज पर जो अखबार मै हूं।
जिसको अनसुना कर भी दो फिर भी सुनाई देगी,
गूंजती ऐसी आवाज मैं हूं।
करो लाख बहाने फिर भी टाल ना पाओगे,
जिद्द से भरा ऐसा पैगाम मै हूं।
जब खत्म हो जाएंगी इच्छाएं सारी,
जो रह जाएगा वो आखरी अरमान मै हूं।
एक सूत का धागा हूं जो देखो मुझे जमाने की निगाहों से,
जो आंधियों को रोक बचाए आशियां तुम्हारा वो दीवार मैं हूं।
©Tanya Sharma (लम्हा)
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