तुम्हें समझ क्यों नहीं आता की...
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#रिश्ता #shyri #mha  tumhein samaj kyun nahi aata ki  तुम्हें समझ में नहीं आता के 
ये रिश्ता कैसा है, 

चाहे जैसा भी हो 
अपना जैसा है।

©Md Hasnain Araryavi.

#रिश्ता #mha #shyri Md Hasnain Araryavi

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#तुमसे_ही #खुशियों #शायरी  tumhein samaj kyun nahi aata ki  तेरे बिन नही मेरा आसान
तू दिल तू ही है मेरी जान
हर ख्वाहिश तुमसे
तुमसे जुदा मेरा हर अरमान
तुम्हे समझ क्यों नही आता कि
एक तू ही तो है मेरी खुशियों का जहां

©kavya soni

#तुमसे_ही _मेरी #खुशियों _का_जहां

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tumhein samaj kyun nahi aata ki किसी ने मुफ़्त में पाया तुझे जो मुझे हर कीमत मैं चाहिए थी आज लिख रहा हूं दिल से क्यू की मोहब्बत और पसंद मैं फर्क होता है यही बात तुझे समझनी थी ©R.k writes

 tumhein samaj kyun nahi aata ki  किसी ने मुफ़्त में पाया तुझे
जो मुझे हर कीमत मैं चाहिए थी
आज लिख रहा हूं दिल से 
क्यू की
मोहब्बत और पसंद मैं फर्क होता है
यही बात तुझे समझनी थी

©R.k writes

tumhein samaj kyun nahi aata ki किसी ने मुफ़्त में पाया तुझे जो मुझे हर कीमत मैं चाहिए थी आज लिख रहा हूं दिल से क्यू की मोहब्बत और पसंद मैं फर्क होता है यही बात तुझे समझनी थी ©R.k writes

10 Love

tumhein samaj kyun nahi aata ki तुं उसको क्युं अपना रहा, जो अब तेरा रहा नहीं! क्यु करता कोशिश बदलने की, जो तेरा कभी सुना नहीं! हरपल जिल्लत की जिंदगी से अब तुं खुद में बदलाव कर! तुं कर कोशिश की वक्त से पहले तुं खुद को तैयार कर! वक्त की ताकत इतनी है उसनें लाखों को बदला है! इंतजार कर और देखता रह तुझको कौन समझता है!! तुं उनको क्युं अपना माने जो तेरे कभी हुए नहीं! क्युं करता कोशिश बदलने की,जो तेरा कभी सुना नहीं!! खुद को बदल छोड़ उसे जो करता अपनी मर्जी की! वो वक्त भी आएगा जरूर रख सब्र तुं अपनी उल्फत की! ना अपनाओ जो न समझे तुझे यहीं "प्रकाश" की अर्जी है! ना समझेगा पछताएगा आगे तेरी मर्जी है! तुं उसको क्युं अपना रहा जो अब तेरा रहा नहीं! क्युं करता कोशिश बदलने की जो तेरा कभी सुना नहीं!! ©Prakash Vats Dubey

#कविता  tumhein samaj kyun nahi aata ki   तुं उसको क्युं अपना रहा, जो अब तेरा रहा नहीं! 
क्यु करता कोशिश बदलने की, जो तेरा कभी सुना नहीं! 
हरपल जिल्लत की जिंदगी से अब तुं खुद में बदलाव कर! 
तुं कर कोशिश की वक्त से पहले तुं खुद को तैयार कर! 
वक्त की ताकत इतनी है उसनें लाखों को बदला है! 
इंतजार कर और देखता रह तुझको कौन समझता है!! 
तुं उनको क्युं अपना माने जो तेरे कभी हुए नहीं! 
क्युं करता कोशिश बदलने की,जो तेरा कभी सुना नहीं!! 
खुद को बदल छोड़ उसे जो करता अपनी मर्जी की! 
वो वक्त भी आएगा जरूर रख सब्र तुं अपनी उल्फत की! 
ना अपनाओ जो न समझे तुझे यहीं "प्रकाश" की अर्जी है! 
ना समझेगा पछताएगा आगे तेरी मर्जी है! 
तुं उसको क्युं अपना रहा जो अब तेरा रहा नहीं! 
क्युं करता कोशिश बदलने की जो तेरा कभी सुना नहीं!!

©Prakash Vats Dubey

tumhein samaj kyun nahi aata ki तुं उसको क्युं अपना रहा, जो अब तेरा रहा नहीं! क्यु करता कोशिश बदलने की, जो तेरा कभी सुना नहीं! हरपल जिल्लत की जिंदगी से अब तुं खुद में बदलाव कर! तुं कर कोशिश की वक्त से पहले तुं खुद को तैयार कर! वक्त की ताकत इतनी है उसनें लाखों को बदला है! इंतजार कर और देखता रह तुझको कौन समझता है!! तुं उनको क्युं अपना माने जो तेरे कभी हुए नहीं! क्युं करता कोशिश बदलने की,जो तेरा कभी सुना नहीं!! खुद को बदल छोड़ उसे जो करता अपनी मर्जी की! वो वक्त भी आएगा जरूर रख सब्र तुं अपनी उल्फत की! ना अपनाओ जो न समझे तुझे यहीं "प्रकाश" की अर्जी है! ना समझेगा पछताएगा आगे तेरी मर्जी है! तुं उसको क्युं अपना रहा जो अब तेरा रहा नहीं! क्युं करता कोशिश बदलने की जो तेरा कभी सुना नहीं!! ©Prakash Vats Dubey

7 Love

tumhein samaj kyun nahi aata ki शीर्षक:- तुम.............. कोई खुदा तो नही किसी का जिस्म अपने रूह से जुदा तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही सबकी अपनी जगह अहमियत है सबकी अपनी अपनी हैसियत है क्यों अपने को अकेला समझते हो तुम तुम खुद अपनी पहचान के मालिक हो कोई गुमशुदा तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही क्या है जो तुम नही कर सकते फिर किस बात से डरते हो तुम उठो और आगे बढ़ो आखिर किस बात से मुकरते हो तुम अपनी काबिलियत दिखाने मे कोई पर्दा तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही ये माना की वक़्त लगता है पहचान बनाने मे फिर जरा वक़्त लगाओ खुद को आजमाने मे खुद को आजमाना कोई खता तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही गलतियां होती हैं तो होने दो मगर उनसे सीखो और खुद को आगे बढ़ने दो अरे तुम्हारे जिस्म मे भी जान है तुम कोई मुर्दा तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही! ©Prakash Vats Dubey

#विचार  tumhein samaj kyun nahi aata ki  शीर्षक:- तुम.............. कोई खुदा तो नही 

किसी का जिस्म अपने रूह से जुदा तो नही 
तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही

सबकी अपनी जगह अहमियत है 
सबकी अपनी अपनी हैसियत है 
क्यों अपने को अकेला समझते हो तुम 
तुम खुद अपनी पहचान के मालिक हो कोई गुमशुदा तो नही 
तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही

क्या है जो तुम नही कर सकते
फिर किस बात से डरते हो तुम 
उठो और आगे बढ़ो आखिर किस बात से मुकरते हो तुम 
अपनी काबिलियत दिखाने मे कोई पर्दा तो नही 
तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही

ये माना की वक़्त लगता है पहचान बनाने मे 
फिर जरा वक़्त लगाओ खुद को आजमाने मे 
खुद को आजमाना कोई खता तो नही 
तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही

गलतियां होती हैं तो होने दो 
मगर उनसे सीखो और खुद को आगे बढ़ने दो 
अरे तुम्हारे जिस्म मे भी जान है तुम कोई मुर्दा तो नही 
तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही!

©Prakash Vats Dubey

tumhein samaj kyun nahi aata ki शीर्षक:- तुम.............. कोई खुदा तो नही किसी का जिस्म अपने रूह से जुदा तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही सबकी अपनी जगह अहमियत है सबकी अपनी अपनी हैसियत है क्यों अपने को अकेला समझते हो तुम तुम खुद अपनी पहचान के मालिक हो कोई गुमशुदा तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही क्या है जो तुम नही कर सकते फिर किस बात से डरते हो तुम उठो और आगे बढ़ो आखिर किस बात से मुकरते हो तुम अपनी काबिलियत दिखाने मे कोई पर्दा तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही ये माना की वक़्त लगता है पहचान बनाने मे फिर जरा वक़्त लगाओ खुद को आजमाने मे खुद को आजमाना कोई खता तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही गलतियां होती हैं तो होने दो मगर उनसे सीखो और खुद को आगे बढ़ने दो अरे तुम्हारे जिस्म मे भी जान है तुम कोई मुर्दा तो नही तुम भी आखिर इंसान हो कोई खुदा तो नही! ©Prakash Vats Dubey

8 Love

tumhein samaj kyun nahi aata ki pair mod ke piche ne raste cho mudiye Tut ke sab kuch khatam Ni Ho janda Kudiye" Bakri chal ke chup chup chal Di chal rahi hai"fir bhi Sade Dil vich kinne saal Rahi yei ©Kuldeep singh

 tumhein samaj kyun nahi aata ki  pair mod ke piche ne raste cho mudiye Tut ke sab kuch khatam Ni Ho janda Kudiye" Bakri chal ke chup chup chal Di chal rahi hai"fir bhi Sade Dil vich kinne saal Rahi yei

©Kuldeep singh

tumhein samaj kyun nahi aata ki pair mod ke piche ne raste cho mudiye Tut ke sab kuch khatam Ni Ho janda Kudiye" Bakri chal ke chup chup chal Di chal rahi hai"fir bhi Sade Dil vich kinne saal Rahi yei ©Kuldeep singh

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