tumhein samaj kyun nahi aata ki तुं उसको क्युं अ | हिंदी कविता

"tumhein samaj kyun nahi aata ki तुं उसको क्युं अपना रहा, जो अब तेरा रहा नहीं! क्यु करता कोशिश बदलने की, जो तेरा कभी सुना नहीं! हरपल जिल्लत की जिंदगी से अब तुं खुद में बदलाव कर! तुं कर कोशिश की वक्त से पहले तुं खुद को तैयार कर! वक्त की ताकत इतनी है उसनें लाखों को बदला है! इंतजार कर और देखता रह तुझको कौन समझता है!! तुं उनको क्युं अपना माने जो तेरे कभी हुए नहीं! क्युं करता कोशिश बदलने की,जो तेरा कभी सुना नहीं!! खुद को बदल छोड़ उसे जो करता अपनी मर्जी की! वो वक्त भी आएगा जरूर रख सब्र तुं अपनी उल्फत की! ना अपनाओ जो न समझे तुझे यहीं "प्रकाश" की अर्जी है! ना समझेगा पछताएगा आगे तेरी मर्जी है! तुं उसको क्युं अपना रहा जो अब तेरा रहा नहीं! क्युं करता कोशिश बदलने की जो तेरा कभी सुना नहीं!! ©Prakash Vats Dubey"

 tumhein samaj kyun nahi aata ki   तुं उसको क्युं अपना रहा, जो अब तेरा रहा नहीं! 
क्यु करता कोशिश बदलने की, जो तेरा कभी सुना नहीं! 
हरपल जिल्लत की जिंदगी से अब तुं खुद में बदलाव कर! 
तुं कर कोशिश की वक्त से पहले तुं खुद को तैयार कर! 
वक्त की ताकत इतनी है उसनें लाखों को बदला है! 
इंतजार कर और देखता रह तुझको कौन समझता है!! 
तुं उनको क्युं अपना माने जो तेरे कभी हुए नहीं! 
क्युं करता कोशिश बदलने की,जो तेरा कभी सुना नहीं!! 
खुद को बदल छोड़ उसे जो करता अपनी मर्जी की! 
वो वक्त भी आएगा जरूर रख सब्र तुं अपनी उल्फत की! 
ना अपनाओ जो न समझे तुझे यहीं "प्रकाश" की अर्जी है! 
ना समझेगा पछताएगा आगे तेरी मर्जी है! 
तुं उसको क्युं अपना रहा जो अब तेरा रहा नहीं! 
क्युं करता कोशिश बदलने की जो तेरा कभी सुना नहीं!!

©Prakash Vats Dubey

tumhein samaj kyun nahi aata ki तुं उसको क्युं अपना रहा, जो अब तेरा रहा नहीं! क्यु करता कोशिश बदलने की, जो तेरा कभी सुना नहीं! हरपल जिल्लत की जिंदगी से अब तुं खुद में बदलाव कर! तुं कर कोशिश की वक्त से पहले तुं खुद को तैयार कर! वक्त की ताकत इतनी है उसनें लाखों को बदला है! इंतजार कर और देखता रह तुझको कौन समझता है!! तुं उनको क्युं अपना माने जो तेरे कभी हुए नहीं! क्युं करता कोशिश बदलने की,जो तेरा कभी सुना नहीं!! खुद को बदल छोड़ उसे जो करता अपनी मर्जी की! वो वक्त भी आएगा जरूर रख सब्र तुं अपनी उल्फत की! ना अपनाओ जो न समझे तुझे यहीं "प्रकाश" की अर्जी है! ना समझेगा पछताएगा आगे तेरी मर्जी है! तुं उसको क्युं अपना रहा जो अब तेरा रहा नहीं! क्युं करता कोशिश बदलने की जो तेरा कभी सुना नहीं!! ©Prakash Vats Dubey

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