हम अपने ख्वाहिशों के कैदी
बिन पंख न उड़ पाएंगे
खुशी अपने पंख फैलाकर
अपने मन तक पहुंच जाएंगे
ख्वाहिश अगर ना हो जीवन में
फिर इतने सारे जीवन में रंग कैसे पाएंगे
सुनो
अगर बात चलने की करूँ
तो शायद औरों की तरह
मैं कभी मिलों का सफर न तय कर पाऊँगी
पर अगर तुम साथ रहोगे मेरे
तो यकीनन
मैं साथ चलने का हर मुमकिन प्रयास करुँगी
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