नई प्रेरणा

सुबह के लगभग चार बजे थे , सर्दी में कह
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नई प्रेरणा सुबह के लगभग चार बजे थे , सर्दी में कहाँ तो आठ या नौ बजे से पहले उठने और रजाई से निकलने का कष्ट हम से होता नहीं.. पर आज ये कलम है कि बहुत दिनों बाद ऐसा लिखना चाहती है जो मन में इस तरह उथल पुथल सा मचाये है कि अब इसे रोकना मेरे बस में नहीं अब तक मेरे लेखन को रोकने का उद्देश्य कुछ ऐसा रहा कि मन सिर्फ निराशा और जिंदगी के अंधेरे पक्ष को छुपा लेना चाहता था और थक चुकी थी जिंदगी की इस उधेड़- बुन से , इंतिजार में थी एक नई प्रेरणा मेरे लेखन के दरवाजे पर खटखटाए और में फिर एक रोचक सिरे से अपनी कहानियों को नया आयाम दे सकूँ ... नेपाल के रहने वाले विवेक और श्रीजना की कहानी , जहाँ कलयुग के इस दौर में एक विवाहित जोड़े ने प्रेम की ऐसी याद कि जाने वाली दाँस्ता लिख दी कि रोगटे से खडे होने लगे , सोशल मीडिया पर हर जगह बस उन दोनों की अटूट प्रेम कहानी ...कलयुग की सती सावित्री .... जहाँ सामने खड़ी मौत को हराने के इतने प्रयास किए गए क्रि , जिन्दगी जब घुटने टेक गई तो शायद उन्हें देख मौत भी शर्मिंदा हुई होगी आज के इस दौर में जहाँ भावात्मक रूप से कमजोर हम युवा जीवन की हर परेशानी का हल जिन्दगी को खत्म कर देने भर में समझते है , आत्महत्या जैसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी होना बिना सोचे समझे कि उन से जुड़े लोगों का बाद में क्या होगा...कोई है कि पल पल आपकी .. जिन्दगी की दुआएँ कर रहा होगा , किसी ने नाजाने कितने नाजो से आपको पाला होगा सबकुछ भूल कर आप अपनी जिन्दगी का सौदा करने चल देते है , बहुत आसान है मौत को गले लगा लेना....पल भर में खेल खत्म हो जाता है . कहते है कोई ऐसी समस्या नहीं जिसका हल नहीं आप कोशिश ही ना करे ये तो गलत बात है .... आप कहेंगे की तुम तो लेखिका हो लिखना जानती हो क्या ही समझ पाओगी दुःख दर्द हमारा तुम्हें लिखने के लिए बस कुछ चाहिए होता है ...... ©Timsi thakur

 नई प्रेरणा

सुबह के लगभग चार बजे थे , सर्दी में कहाँ तो आठ या नौ बजे से पहले उठने और रजाई से निकलने का कष्ट  हम से होता नहीं..
पर आज ये कलम है कि बहुत दिनों बाद ऐसा लिखना चाहती है जो मन में इस तरह उथल पुथल सा मचाये है कि अब इसे रोकना मेरे बस में नहीं अब तक मेरे लेखन को रोकने का उद्देश्य कुछ ऐसा रहा कि मन सिर्फ निराशा और जिंदगी के अंधेरे पक्ष को छुपा लेना चाहता था और थक चुकी थी जिंदगी की इस उधेड़- बुन से , इंतिजार में थी एक नई प्रेरणा मेरे लेखन के दरवाजे पर खटखटाए और में फिर एक रोचक सिरे से अपनी कहानियों को नया आयाम दे सकूँ ...

नेपाल के रहने वाले विवेक और श्रीजना की कहानी , 
जहाँ कलयुग के इस दौर में एक विवाहित जोड़े ने प्रेम की ऐसी याद कि जाने वाली दाँस्ता लिख दी कि रोगटे से खडे होने लगे , सोशल मीडिया पर हर जगह बस उन दोनों की अटूट प्रेम कहानी ...कलयुग की सती सावित्री ....
जहाँ सामने खड़ी मौत को हराने के इतने प्रयास किए गए क्रि , जिन्दगी जब घुटने टेक गई तो शायद उन्हें देख मौत भी शर्मिंदा हुई 
 होगी

आज के इस दौर में जहाँ भावात्मक रूप से कमजोर हम युवा जीवन की हर परेशानी का हल जिन्दगी को खत्म कर देने भर में समझते है , आत्महत्या जैसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी होना बिना सोचे समझे  कि उन  से जुड़े लोगों का बाद में क्या होगा...कोई है कि पल पल आपकी .. जिन्दगी की दुआएँ कर रहा होगा , किसी ने नाजाने कितने नाजो से आपको पाला होगा सबकुछ भूल कर आप अपनी जिन्दगी का सौदा करने चल देते है , बहुत आसान है मौत को गले लगा लेना....पल भर में खेल खत्म हो जाता है .

 कहते है कोई ऐसी समस्या नहीं जिसका हल नहीं आप कोशिश ही ना करे ये तो गलत बात है .... 
आप कहेंगे की तुम तो लेखिका हो लिखना जानती हो 
क्या ही समझ पाओगी दुःख दर्द हमारा तुम्हें लिखने के लिए बस कुछ चाहिए होता है ......

©Timsi thakur

नई प्रेरणा सुबह के लगभग चार बजे थे , सर्दी में कहाँ तो आठ या नौ बजे से पहले उठने और रजाई से निकलने का कष्ट हम से होता नहीं.. पर आज ये कलम है कि बहुत दिनों बाद ऐसा लिखना चाहती है जो मन में इस तरह उथल पुथल सा मचाये है कि अब इसे रोकना मेरे बस में नहीं अब तक मेरे लेखन को रोकने का उद्देश्य कुछ ऐसा रहा कि मन सिर्फ निराशा और जिंदगी के अंधेरे पक्ष को छुपा लेना चाहता था और थक चुकी थी जिंदगी की इस उधेड़- बुन से , इंतिजार में थी एक नई प्रेरणा मेरे लेखन के दरवाजे पर खटखटाए और में फिर एक रोचक सिरे से अपनी कहानियों को नया आयाम दे सकूँ ... नेपाल के रहने वाले विवेक और श्रीजना की कहानी , जहाँ कलयुग के इस दौर में एक विवाहित जोड़े ने प्रेम की ऐसी याद कि जाने वाली दाँस्ता लिख दी कि रोगटे से खडे होने लगे , सोशल मीडिया पर हर जगह बस उन दोनों की अटूट प्रेम कहानी ...कलयुग की सती सावित्री .... जहाँ सामने खड़ी मौत को हराने के इतने प्रयास किए गए क्रि , जिन्दगी जब घुटने टेक गई तो शायद उन्हें देख मौत भी शर्मिंदा हुई होगी आज के इस दौर में जहाँ भावात्मक रूप से कमजोर हम युवा जीवन की हर परेशानी का हल जिन्दगी को खत्म कर देने भर में समझते है , आत्महत्या जैसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी होना बिना सोचे समझे कि उन से जुड़े लोगों का बाद में क्या होगा...कोई है कि पल पल आपकी .. जिन्दगी की दुआएँ कर रहा होगा , किसी ने नाजाने कितने नाजो से आपको पाला होगा सबकुछ भूल कर आप अपनी जिन्दगी का सौदा करने चल देते है , बहुत आसान है मौत को गले लगा लेना....पल भर में खेल खत्म हो जाता है . कहते है कोई ऐसी समस्या नहीं जिसका हल नहीं आप कोशिश ही ना करे ये तो गलत बात है .... आप कहेंगे की तुम तो लेखिका हो लिखना जानती हो क्या ही समझ पाओगी दुःख दर्द हमारा तुम्हें लिखने के लिए बस कुछ चाहिए होता है ...... ©Timsi thakur

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