Timsi thakur

Timsi thakur

An Artist nd writer

https://youtu.be/OvhnoHqqQ0A

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हर लड़का खुबसुरती पर मरता है हर लड़की पैसे पर मरती है ये मानसिकता यदि आप भी रखते है तो बहुत सी कहानियाँ है जो आप से अनछुई है उन्हें खोजिए , पढ़िए जिन्दगी के अच्छे बुरे हर पहलू का सही विश्लेषण करने के बाद नतीजे पर पहुंचाएगा और खाकीन ना आए तो श्रीजना के प्रयासों की एक वीडियो आप भी जरूर देखे आंखों से आँसू ना छलके तो आप सही है जीवन में प्रेम और इंसानियत की कोई जगह नहीं है.... इस दौर में भी ऐसा प्रेम संभव है कोई आपको ना दे सके तो आप खुद ही किसी के जख्मों का मरहम बन जाए... " प्रेम अपनों के प्रति समर्पण है । " शिकायतें करना आसान है पर खुद को किसी और को और अपने हालातों को समझकर , अपनी मुश्किलों को सुलझाकर सही राह पर चलना आपके अपने बस में है । जीने की बस एक वजह ढूंढ लीजिए , रुकावटें बहुत आएगी , पर मंजिले खुद आप तक पहुँचना चाहेंगी | सफर अधूरा रह भी जाए फिर... पर आपकों गर्व होगा कि आप आखिरी दम तक लड़े । जीत का फैसला तो ईश्वर करता है , आप कोशिश करना कभी ना छोड़े.... स्वस्थ रहिए खुश रहिए... धन्यवाद...... ओस की कलम✍️😊 ©Timsi thakur

 हर लड़का खुबसुरती पर मरता है हर लड़की पैसे पर मरती है ये मानसिकता यदि आप भी रखते है तो बहुत सी कहानियाँ है जो आप से अनछुई है उन्हें खोजिए , पढ़िए जिन्दगी के
अच्छे बुरे हर पहलू का सही विश्लेषण करने के बाद नतीजे पर पहुंचाएगा और खाकीन ना आए तो श्रीजना के प्रयासों की एक वीडियो आप भी जरूर देखे

 आंखों से आँसू ना छलके  तो आप सही है जीवन में प्रेम और इंसानियत की कोई जगह नहीं है....

इस दौर में भी ऐसा प्रेम संभव है
 कोई आपको ना दे सके तो आप खुद ही किसी के जख्मों का मरहम बन
जाए...

" प्रेम अपनों के प्रति समर्पण है । "

शिकायतें करना आसान है पर खुद को किसी और को  और अपने हालातों को समझकर , अपनी मुश्किलों को सुलझाकर सही राह पर चलना आपके अपने बस में है ।
जीने की बस एक वजह ढूंढ लीजिए , रुकावटें बहुत आएगी , पर मंजिले खुद आप तक पहुँचना  चाहेंगी | सफर अधूरा रह भी जाए फिर... पर आपकों गर्व होगा कि आप आखिरी दम तक लड़े ।

जीत का फैसला तो ईश्वर करता है ,
आप कोशिश करना कभी ना  छोड़े....
स्वस्थ रहिए खुश रहिए...

धन्यवाद......  
                    ओस की कलम✍️😊

©Timsi thakur

हर लड़का खुबसुरती पर मरता है हर लड़की पैसे पर मरती है ये मानसिकता यदि आप भी रखते है तो बहुत सी कहानियाँ है जो आप से अनछुई है उन्हें खोजिए , पढ़िए जिन्दगी के अच्छे बुरे हर पहलू का सही विश्लेषण करने के बाद नतीजे पर पहुंचाएगा और खाकीन ना आए तो श्रीजना के प्रयासों की एक वीडियो आप भी जरूर देखे आंखों से आँसू ना छलके तो आप सही है जीवन में प्रेम और इंसानियत की कोई जगह नहीं है.... इस दौर में भी ऐसा प्रेम संभव है कोई आपको ना दे सके तो आप खुद ही किसी के जख्मों का मरहम बन जाए... " प्रेम अपनों के प्रति समर्पण है । " शिकायतें करना आसान है पर खुद को किसी और को और अपने हालातों को समझकर , अपनी मुश्किलों को सुलझाकर सही राह पर चलना आपके अपने बस में है । जीने की बस एक वजह ढूंढ लीजिए , रुकावटें बहुत आएगी , पर मंजिले खुद आप तक पहुँचना चाहेंगी | सफर अधूरा रह भी जाए फिर... पर आपकों गर्व होगा कि आप आखिरी दम तक लड़े । जीत का फैसला तो ईश्वर करता है , आप कोशिश करना कभी ना छोड़े.... स्वस्थ रहिए खुश रहिए... धन्यवाद...... ओस की कलम✍️😊 ©Timsi thakur

16 Love

जिन्दगी में जब आपको अपनी समस्याएँ बहुत बड़ी लगने लगे , उस वक्त आप घर से निकलकर और से दिखाई देने वाले हर पहलू की देखिएगा , सड़क पर चलते लोग , भूखे नंगे बच्चे भीखारी उनकी तंगी , दो वक्त की रोटी के लिए गिड़गिड़ाते लोग और जब कोई बीमारी तंग करने लगे तो कभी हॉस्पिटल जाकर लोगों को कहीं अधिक बदतर हालात जिनकी पीड़ा हृदय को रोने पर मजबूर कर दे , जब ये दृश्य आप देखेंगे तो दर्दसच्च में उस वक्त आपको अहसास होगा की आप कितने सही हालात में है , लोग तो खून के आँसू रोने के लिए मजबूर है फिर भी देखो ना जीने का जज्बा लिए हुए हैं खुद से लड़ रहे है अपनों की सलामती के लिए ईश्वर तक से लड़ रहे है , तो फिर आप मैं या कोई और क्यों नहीं ? जीने की वजह खोज निकालिए मौत तो वैसे भी बिन बताए आ ही जाती है और उस वक्त आप जिन्दगी की एक बूँद के लिए तरस जाएंगे । कहते है से इन्सानी जीवन न जाने कितनी योनियों से गुजरने के बाद हमें मिलता है और हम देखो इसकी कद्र नहीं सीख पाते बस इसे बर्बाद करने पर तुले रहते है , ना सही खान पान , ना सही आदतें खुद अपनी जान के दुश्मन बन बैठते है और फिर किस्मत को दोष देते है ऐसा भी क्या गुनाह हुआ हमसे ये सवाल आए तो सोचना हर छोटे - बड़े सारे गुनाह याद तो जरूर आएँगे कुछ जान कर कि गई गलतियाँ तो कुछ अनजाने में कि गई होंगी । खुद को सुधारने और जिन्दगी को हर बार नए सिरे से शुरू करने के लिए हमेशा तैयार रहे कभी किसी के दुःख की कारण ना बने जहाँ गलती है । स्वीकार करना सीखे पर इसका ये मतलब नहीं किसी को अपने दुःख का कारण बनने देंगे नहीं बिल्कुल नहीं ........ अपनेपन की कद्र करें , स्वयं के लिए और उससे भी ज्यादा अपनों के लिए जीयें । ©Timsi thakur

 जिन्दगी में जब आपको अपनी समस्याएँ बहुत बड़ी लगने लगे , उस वक्त आप घर से निकलकर और से दिखाई देने वाले हर पहलू की देखिएगा , सड़क पर चलते लोग , भूखे नंगे बच्चे भीखारी उनकी तंगी , दो वक्त की रोटी के लिए गिड़गिड़ाते लोग 
और जब कोई बीमारी तंग करने लगे तो कभी हॉस्पिटल जाकर लोगों को कहीं अधिक बदतर हालात जिनकी पीड़ा हृदय को रोने पर मजबूर कर दे , जब ये दृश्य आप देखेंगे तो
दर्दसच्च में उस वक्त आपको अहसास होगा की आप कितने सही हालात में है , लोग तो खून के आँसू रोने के लिए  मजबूर है फिर भी देखो ना जीने का जज्बा लिए हुए हैं 

खुद से लड़ रहे है अपनों की सलामती के लिए ईश्वर तक से लड़ रहे है , तो फिर आप मैं या कोई और क्यों नहीं ? जीने की वजह खोज निकालिए मौत तो वैसे भी बिन बताए आ ही जाती है और उस वक्त आप  जिन्दगी की एक बूँद के लिए तरस जाएंगे । कहते है से इन्सानी जीवन न जाने कितनी योनियों से गुजरने के बाद हमें मिलता है और हम देखो इसकी कद्र नहीं सीख पाते बस इसे बर्बाद करने पर तुले रहते है , ना सही खान पान , ना सही आदतें खुद अपनी जान के दुश्मन बन बैठते है और फिर किस्मत को दोष देते है ऐसा भी क्या गुनाह हुआ हमसे 
ये सवाल आए तो सोचना हर छोटे - बड़े सारे गुनाह याद तो जरूर आएँगे कुछ जान कर कि गई गलतियाँ तो कुछ अनजाने में कि गई होंगी । 
खुद को सुधारने और जिन्दगी को हर बार नए सिरे से शुरू करने के लिए हमेशा तैयार रहे कभी किसी के दुःख की कारण ना बने जहाँ गलती है । स्वीकार करना सीखे पर इसका ये मतलब नहीं किसी को अपने दुःख का कारण बनने देंगे नहीं बिल्कुल नहीं ........ अपनेपन की कद्र करें , स्वयं के लिए और उससे भी ज्यादा अपनों के लिए जीयें ।

©Timsi thakur

जिन्दगी में जब आपको अपनी समस्याएँ बहुत बड़ी लगने लगे , उस वक्त आप घर से निकलकर और से दिखाई देने वाले हर पहलू की देखिएगा , सड़क पर चलते लोग , भूखे नंगे बच्चे भीखारी उनकी तंगी , दो वक्त की रोटी के लिए गिड़गिड़ाते लोग और जब कोई बीमारी तंग करने लगे तो कभी हॉस्पिटल जाकर लोगों को कहीं अधिक बदतर हालात जिनकी पीड़ा हृदय को रोने पर मजबूर कर दे , जब ये दृश्य आप देखेंगे तो दर्दसच्च में उस वक्त आपको अहसास होगा की आप कितने सही हालात में है , लोग तो खून के आँसू रोने के लिए मजबूर है फिर भी देखो ना जीने का जज्बा लिए हुए हैं खुद से लड़ रहे है अपनों की सलामती के लिए ईश्वर तक से लड़ रहे है , तो फिर आप मैं या कोई और क्यों नहीं ? जीने की वजह खोज निकालिए मौत तो वैसे भी बिन बताए आ ही जाती है और उस वक्त आप जिन्दगी की एक बूँद के लिए तरस जाएंगे । कहते है से इन्सानी जीवन न जाने कितनी योनियों से गुजरने के बाद हमें मिलता है और हम देखो इसकी कद्र नहीं सीख पाते बस इसे बर्बाद करने पर तुले रहते है , ना सही खान पान , ना सही आदतें खुद अपनी जान के दुश्मन बन बैठते है और फिर किस्मत को दोष देते है ऐसा भी क्या गुनाह हुआ हमसे ये सवाल आए तो सोचना हर छोटे - बड़े सारे गुनाह याद तो जरूर आएँगे कुछ जान कर कि गई गलतियाँ तो कुछ अनजाने में कि गई होंगी । खुद को सुधारने और जिन्दगी को हर बार नए सिरे से शुरू करने के लिए हमेशा तैयार रहे कभी किसी के दुःख की कारण ना बने जहाँ गलती है । स्वीकार करना सीखे पर इसका ये मतलब नहीं किसी को अपने दुःख का कारण बनने देंगे नहीं बिल्कुल नहीं ........ अपनेपन की कद्र करें , स्वयं के लिए और उससे भी ज्यादा अपनों के लिए जीयें । ©Timsi thakur

13 Love

हॉस्पिटल में चार दिन एडमिट हुई तो जिन्दगी की कीमत समझ आने लगी , मौत को करीब आते देख रही थी , मन जिन्दगी और बीमारियों से घिरी काया को सिलने में लगी हुई थी ..... . जिन्दगी के दो साल 2022 और 2024 कहर बन कर टूटे कुएँ से निकली तो खाई में जा गिरी 2022 कुआँ था और 2024 खाई जिन्दगी जीना चुनौती लगने लगा , निराशा इस कदर मन में घर कर गई की दम घुटने लगा था पर जिन्दगी के मुश्किल दौर में जिस तरह मेरे अपनों ने परिवार दोस्त सबने मिलकर जिस तरह संभाला मैं सब को सबके उस साथ को ,मेरे चेहरे पर हंसी लाने के हर उस प्रयास को कभी नहीं भूल पाऊँगी ..... जहाँ दर्द से शरीर तो करहरा रहा था ,चीखें निकल रही थी... पर दिल को सुकून था कि कोई है जो मेरी सलामती की दुआएँ माँग रहा है , दोस्त और परिवार रिश्ते दार तो फिर भी अपने होते है , पर जब मैंनें उस पहलू को भी देखा जहाँ जिन्दगी से हारता , बीमारियों से घिरा हर शख्स अनजान जब आपके पास बैठता है अपने दर्द को खुद में समेटे आप से अपना दर्द साझा करता है , आपके दु : ख दर्द को समझता है तब दुनिया की सारी बुराईयाँ , कलयुगी इंसान ये शब्दावली सब झूठ लगने लगता है अहसास होता है कि इंसानियत मरती नहीं है बस हमें ही आदत हो गई जिन्दगी के एक अंधेरे पक्ष को देखते रहने और हर पल कोसते रहने की । उदाहरण उस वक्त का तो..... अब माँ तो माँ होती है अपनी या पराई नहीं एक अनुभव ऐसा भी था या , मैं डरी सी सहमी सी , मुरझाई सी बैठी हुई ... पास में बैठी एक औरत मुझे देख बस बिना सवाल किए , मेरे ठण्डे पड़े हाथों को अपने नम्र मुलायम हाथों की गर्मी से पकड़कर बैठ गई इतना ही नहीं मेरे पैरों को भी अपने नीचे दबा लिया कुछ देर बस यूँ ही मुझे अपनी बच्ची समझकर प्रेम का वो स्पर्श देती रही , यूँ तो पास में उस वक्त मेरे अपनी मम्मी पापा भी बैठे हुए थे पर एक अनजान मुस्लिम औरत का वो प्रेम पूर्ण स्पर्श उस वक्त जो अहसास करा रहा था शायद बता ना पाऊं.... देश में फैली धर्म और जाति जैसी क्रूरता.... काश मैं समझा पाती उस अनुभव को जो सिर्फ इंसानियत समझता है .. अपना पराया धर्म खून या जाति नहीं... ©Timsi thakur

 हॉस्पिटल में चार दिन एडमिट हुई तो जिन्दगी की कीमत समझ आने लगी , मौत को करीब आते देख रही थी , मन जिन्दगी और बीमारियों से घिरी काया को सिलने में लगी हुई थी .....

. जिन्दगी के दो साल 2022 और 2024 कहर बन कर टूटे 
कुएँ से निकली तो खाई में जा गिरी 2022 कुआँ था और 2024 खाई जिन्दगी जीना चुनौती लगने लगा , निराशा इस कदर मन में घर कर गई की दम घुटने लगा था पर जिन्दगी के मुश्किल दौर में जिस तरह मेरे अपनों ने परिवार दोस्त सबने मिलकर जिस तरह संभाला मैं सब को 
सबके उस साथ को ,मेरे चेहरे पर हंसी लाने के हर उस प्रयास को कभी नहीं भूल पाऊँगी ..... जहाँ दर्द से शरीर तो करहरा रहा था ,चीखें निकल रही थी...
 पर दिल को सुकून था कि कोई है जो मेरी सलामती की दुआएँ माँग रहा है , दोस्त और परिवार रिश्ते दार तो फिर भी अपने होते है , 
पर जब मैंनें उस पहलू को भी देखा जहाँ जिन्दगी से हारता , बीमारियों से घिरा हर शख्स अनजान जब आपके पास बैठता है अपने दर्द को खुद में समेटे आप से अपना दर्द साझा करता है , आपके दु : ख दर्द को समझता है तब दुनिया की सारी बुराईयाँ , कलयुगी इंसान ये  शब्दावली सब झूठ लगने लगता है अहसास होता है कि इंसानियत मरती नहीं है बस हमें ही आदत हो गई जिन्दगी के एक अंधेरे पक्ष को देखते रहने और हर पल कोसते रहने की ।
उदाहरण उस वक्त का तो.....
अब माँ तो माँ होती है अपनी या पराई नहीं एक अनुभव ऐसा भी था या , मैं डरी सी सहमी सी , मुरझाई  सी बैठी हुई ...
 पास में बैठी एक औरत मुझे देख बस बिना सवाल किए , मेरे ठण्डे पड़े हाथों को अपने नम्र मुलायम हाथों की गर्मी से पकड़कर बैठ गई इतना ही नहीं मेरे पैरों को भी अपने नीचे दबा लिया कुछ देर बस यूँ ही मुझे अपनी बच्ची समझकर प्रेम का वो 
स्पर्श देती रही , यूँ तो पास में उस वक्त मेरे अपनी मम्मी पापा भी बैठे हुए थे पर एक अनजान मुस्लिम औरत का वो प्रेम पूर्ण स्पर्श उस वक्त जो अहसास करा रहा था शायद बता ना पाऊं....
देश में फैली धर्म और जाति जैसी क्रूरता.... काश मैं समझा पाती उस अनुभव को जो सिर्फ इंसानियत समझता है .. अपना पराया धर्म खून या जाति नहीं...

©Timsi thakur

हॉस्पिटल में चार दिन एडमिट हुई तो जिन्दगी की कीमत समझ आने लगी , मौत को करीब आते देख रही थी , मन जिन्दगी और बीमारियों से घिरी काया को सिलने में लगी हुई थी ..... . जिन्दगी के दो साल 2022 और 2024 कहर बन कर टूटे कुएँ से निकली तो खाई में जा गिरी 2022 कुआँ था और 2024 खाई जिन्दगी जीना चुनौती लगने लगा , निराशा इस कदर मन में घर कर गई की दम घुटने लगा था पर जिन्दगी के मुश्किल दौर में जिस तरह मेरे अपनों ने परिवार दोस्त सबने मिलकर जिस तरह संभाला मैं सब को सबके उस साथ को ,मेरे चेहरे पर हंसी लाने के हर उस प्रयास को कभी नहीं भूल पाऊँगी ..... जहाँ दर्द से शरीर तो करहरा रहा था ,चीखें निकल रही थी... पर दिल को सुकून था कि कोई है जो मेरी सलामती की दुआएँ माँग रहा है , दोस्त और परिवार रिश्ते दार तो फिर भी अपने होते है , पर जब मैंनें उस पहलू को भी देखा जहाँ जिन्दगी से हारता , बीमारियों से घिरा हर शख्स अनजान जब आपके पास बैठता है अपने दर्द को खुद में समेटे आप से अपना दर्द साझा करता है , आपके दु : ख दर्द को समझता है तब दुनिया की सारी बुराईयाँ , कलयुगी इंसान ये शब्दावली सब झूठ लगने लगता है अहसास होता है कि इंसानियत मरती नहीं है बस हमें ही आदत हो गई जिन्दगी के एक अंधेरे पक्ष को देखते रहने और हर पल कोसते रहने की । उदाहरण उस वक्त का तो..... अब माँ तो माँ होती है अपनी या पराई नहीं एक अनुभव ऐसा भी था या , मैं डरी सी सहमी सी , मुरझाई सी बैठी हुई ... पास में बैठी एक औरत मुझे देख बस बिना सवाल किए , मेरे ठण्डे पड़े हाथों को अपने नम्र मुलायम हाथों की गर्मी से पकड़कर बैठ गई इतना ही नहीं मेरे पैरों को भी अपने नीचे दबा लिया कुछ देर बस यूँ ही मुझे अपनी बच्ची समझकर प्रेम का वो स्पर्श देती रही , यूँ तो पास में उस वक्त मेरे अपनी मम्मी पापा भी बैठे हुए थे पर एक अनजान मुस्लिम औरत का वो प्रेम पूर्ण स्पर्श उस वक्त जो अहसास करा रहा था शायद बता ना पाऊं.... देश में फैली धर्म और जाति जैसी क्रूरता.... काश मैं समझा पाती उस अनुभव को जो सिर्फ इंसानियत समझता है .. अपना पराया धर्म खून या जाति नहीं... ©Timsi thakur

16 Love

नई प्रेरणा सुबह के लगभग चार बजे थे , सर्दी में कहाँ तो आठ या नौ बजे से पहले उठने और रजाई से निकलने का कष्ट हम से होता नहीं.. पर आज ये कलम है कि बहुत दिनों बाद ऐसा लिखना चाहती है जो मन में इस तरह उथल पुथल सा मचाये है कि अब इसे रोकना मेरे बस में नहीं अब तक मेरे लेखन को रोकने का उद्देश्य कुछ ऐसा रहा कि मन सिर्फ निराशा और जिंदगी के अंधेरे पक्ष को छुपा लेना चाहता था और थक चुकी थी जिंदगी की इस उधेड़- बुन से , इंतिजार में थी एक नई प्रेरणा मेरे लेखन के दरवाजे पर खटखटाए और में फिर एक रोचक सिरे से अपनी कहानियों को नया आयाम दे सकूँ ... नेपाल के रहने वाले विवेक और श्रीजना की कहानी , जहाँ कलयुग के इस दौर में एक विवाहित जोड़े ने प्रेम की ऐसी याद कि जाने वाली दाँस्ता लिख दी कि रोगटे से खडे होने लगे , सोशल मीडिया पर हर जगह बस उन दोनों की अटूट प्रेम कहानी ...कलयुग की सती सावित्री .... जहाँ सामने खड़ी मौत को हराने के इतने प्रयास किए गए क्रि , जिन्दगी जब घुटने टेक गई तो शायद उन्हें देख मौत भी शर्मिंदा हुई होगी आज के इस दौर में जहाँ भावात्मक रूप से कमजोर हम युवा जीवन की हर परेशानी का हल जिन्दगी को खत्म कर देने भर में समझते है , आत्महत्या जैसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी होना बिना सोचे समझे कि उन से जुड़े लोगों का बाद में क्या होगा...कोई है कि पल पल आपकी .. जिन्दगी की दुआएँ कर रहा होगा , किसी ने नाजाने कितने नाजो से आपको पाला होगा सबकुछ भूल कर आप अपनी जिन्दगी का सौदा करने चल देते है , बहुत आसान है मौत को गले लगा लेना....पल भर में खेल खत्म हो जाता है . कहते है कोई ऐसी समस्या नहीं जिसका हल नहीं आप कोशिश ही ना करे ये तो गलत बात है .... आप कहेंगे की तुम तो लेखिका हो लिखना जानती हो क्या ही समझ पाओगी दुःख दर्द हमारा तुम्हें लिखने के लिए बस कुछ चाहिए होता है ...... ©Timsi thakur

 नई प्रेरणा

सुबह के लगभग चार बजे थे , सर्दी में कहाँ तो आठ या नौ बजे से पहले उठने और रजाई से निकलने का कष्ट  हम से होता नहीं..
पर आज ये कलम है कि बहुत दिनों बाद ऐसा लिखना चाहती है जो मन में इस तरह उथल पुथल सा मचाये है कि अब इसे रोकना मेरे बस में नहीं अब तक मेरे लेखन को रोकने का उद्देश्य कुछ ऐसा रहा कि मन सिर्फ निराशा और जिंदगी के अंधेरे पक्ष को छुपा लेना चाहता था और थक चुकी थी जिंदगी की इस उधेड़- बुन से , इंतिजार में थी एक नई प्रेरणा मेरे लेखन के दरवाजे पर खटखटाए और में फिर एक रोचक सिरे से अपनी कहानियों को नया आयाम दे सकूँ ...

नेपाल के रहने वाले विवेक और श्रीजना की कहानी , 
जहाँ कलयुग के इस दौर में एक विवाहित जोड़े ने प्रेम की ऐसी याद कि जाने वाली दाँस्ता लिख दी कि रोगटे से खडे होने लगे , सोशल मीडिया पर हर जगह बस उन दोनों की अटूट प्रेम कहानी ...कलयुग की सती सावित्री ....
जहाँ सामने खड़ी मौत को हराने के इतने प्रयास किए गए क्रि , जिन्दगी जब घुटने टेक गई तो शायद उन्हें देख मौत भी शर्मिंदा हुई 
 होगी

आज के इस दौर में जहाँ भावात्मक रूप से कमजोर हम युवा जीवन की हर परेशानी का हल जिन्दगी को खत्म कर देने भर में समझते है , आत्महत्या जैसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी होना बिना सोचे समझे  कि उन  से जुड़े लोगों का बाद में क्या होगा...कोई है कि पल पल आपकी .. जिन्दगी की दुआएँ कर रहा होगा , किसी ने नाजाने कितने नाजो से आपको पाला होगा सबकुछ भूल कर आप अपनी जिन्दगी का सौदा करने चल देते है , बहुत आसान है मौत को गले लगा लेना....पल भर में खेल खत्म हो जाता है .

 कहते है कोई ऐसी समस्या नहीं जिसका हल नहीं आप कोशिश ही ना करे ये तो गलत बात है .... 
आप कहेंगे की तुम तो लेखिका हो लिखना जानती हो 
क्या ही समझ पाओगी दुःख दर्द हमारा तुम्हें लिखने के लिए बस कुछ चाहिए होता है ......

©Timsi thakur

नई प्रेरणा सुबह के लगभग चार बजे थे , सर्दी में कहाँ तो आठ या नौ बजे से पहले उठने और रजाई से निकलने का कष्ट हम से होता नहीं.. पर आज ये कलम है कि बहुत दिनों बाद ऐसा लिखना चाहती है जो मन में इस तरह उथल पुथल सा मचाये है कि अब इसे रोकना मेरे बस में नहीं अब तक मेरे लेखन को रोकने का उद्देश्य कुछ ऐसा रहा कि मन सिर्फ निराशा और जिंदगी के अंधेरे पक्ष को छुपा लेना चाहता था और थक चुकी थी जिंदगी की इस उधेड़- बुन से , इंतिजार में थी एक नई प्रेरणा मेरे लेखन के दरवाजे पर खटखटाए और में फिर एक रोचक सिरे से अपनी कहानियों को नया आयाम दे सकूँ ... नेपाल के रहने वाले विवेक और श्रीजना की कहानी , जहाँ कलयुग के इस दौर में एक विवाहित जोड़े ने प्रेम की ऐसी याद कि जाने वाली दाँस्ता लिख दी कि रोगटे से खडे होने लगे , सोशल मीडिया पर हर जगह बस उन दोनों की अटूट प्रेम कहानी ...कलयुग की सती सावित्री .... जहाँ सामने खड़ी मौत को हराने के इतने प्रयास किए गए क्रि , जिन्दगी जब घुटने टेक गई तो शायद उन्हें देख मौत भी शर्मिंदा हुई होगी आज के इस दौर में जहाँ भावात्मक रूप से कमजोर हम युवा जीवन की हर परेशानी का हल जिन्दगी को खत्म कर देने भर में समझते है , आत्महत्या जैसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी होना बिना सोचे समझे कि उन से जुड़े लोगों का बाद में क्या होगा...कोई है कि पल पल आपकी .. जिन्दगी की दुआएँ कर रहा होगा , किसी ने नाजाने कितने नाजो से आपको पाला होगा सबकुछ भूल कर आप अपनी जिन्दगी का सौदा करने चल देते है , बहुत आसान है मौत को गले लगा लेना....पल भर में खेल खत्म हो जाता है . कहते है कोई ऐसी समस्या नहीं जिसका हल नहीं आप कोशिश ही ना करे ये तो गलत बात है .... आप कहेंगे की तुम तो लेखिका हो लिखना जानती हो क्या ही समझ पाओगी दुःख दर्द हमारा तुम्हें लिखने के लिए बस कुछ चाहिए होता है ...... ©Timsi thakur

11 Love

Unsplash हसीन है सच में ये झूठ भी बहुत.. हकीकत, हर सपना चखना चूर कर देती है। (ओस की कलम) ©Timsi thakur

#traveling #SAD  Unsplash हसीन है सच में ये झूठ भी बहुत.. 
हकीकत, हर सपना चखना चूर कर देती है।



              (ओस की कलम)

©Timsi thakur

#traveling

9 Love

White आज सुबह जब फोन देखा तो पाया मेरे एक पागल से दोस्त ने कई सारे मेसेजस् किये हुए हैं...क्या हुआ सुबह सुबह इसे, इतने मेसेजस् की बरसात क्या बात हैं... कहता हैं मैंने एक लड़की को प्रोपोज कर दिया बदले में उस लड़की के जो रिप्लाई थे दोस्त ने स्क्रीन शॉट भेजे हुए थे..... उन स्क्रीन शॉट्स में ये बड़ी बड़ी गंदी गालियाँ लिखी हुई थी... सच में ये देख कर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई.... एक लड़की भी इतनी शुद्ध हिंदी में ऐसी ऐसी गालियाँ दे सकती हैं..... सच में साबित करती हैं की लड़कियां लड़कों से किसी मामले में कम नहीं हैं यहाँ तक की आज की लड़कियां गालियाँ देने में भी पी ए च डी की हुई हैं .... मेरा कहने का ये आशय बिल्कुल नहीं हैं की ऐसे ही किसी भी लड़के के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाए या उसे कुछ ना कहा जाए.... पर ना कहने ये कौन सा तरीका हुआ.... सीधे गालियों पर उतर आना कौन सी सभ्यता की पहचान हैं??????? अब मेरा ये दोस्त सच में कितना बेवकूफ हैं खैर मैं ये बात जानती हूँ.... तो सबसे पहले तो मैंने खुद उसकी क्लास लगाई... की ऐसे कैसे किसी भी अंजान लड़की को सीधा प्रोपोज कर दिया बिना उसे जाने पहचाने..... गलती तो पहले उसकी थी ना..... मैं सोच में पड़ गयी...... आखिर ये लड़के बस किसी भी लड़की की खूबसूरती पर एक नजर में मर मिट ते हैं बिना ये जाने उस लड़की में तहजीब नाम की कोई चीज हैं भी या नहीं वो प्यार के लायक हैं भी या नहीं.... बस कोई भी राह चलती इन लड़कों को अच्छी लग जाती हैं.... सीधे जाकर कम अक्ल के जैसे.... यूँ ही प्रोपोज कर देते हैं ........... आखिर कब समझेंगे लड़के की सूरत से खुबसूरत हजार मिल जायेगी पर साथ वो ही निभा सकती हैं जो सीरत की खूबसूरती रखती...... खैर लड़कों का तो गुणगांन् ही क्या किया जाए...... ये लोग समझते कहाँ हैं...... मेरी सलाह उसे कितनी समझ आई होगी ये तो भगवान जाने..... अब बात आती हैं लड़कियों की ये जाहिर सी बात हैं हर लड़की को ऐसे प्रोपोसल् तो आते ही रहते हैं..... क्युकी लड़कियों को प्रोपोज करना हर लड़की पर ताक लगाए रखना तो लड़के अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझते हैं........ और शायद इसी के चलते आज कल लड़कियां किसी लड़के से सीधे मुह बात करना पसंद नहीं करती...... क्युकी जुर्म ने प्रचंड रूप भी तो सिर्फ लड़कियों हम स्त्री जाति को ही सबसे ज्यादा दिखाया हैं तो उनकी इस कटुता का स्वभाव में होना तो लाजमी हैं....... पर कहना चाहूँगी की बहुत जरूरी हैं हम लड़कियों को सही गलत की पहचान होना ,समझदार होना की यूँ ही कोई भी आकर अपनी गंदी गलत नजरे ना डाले...... पर अंतर होता हैं समझदार होने और बद्तमीज होने में जैसे हम लड़कियों को बर्दाश नहीं की कोई हमारे साथ अभद्र व्यवहार करें हमें अपशब्द कहे उसी तरह हम लड़कियों को भी कोई अधिकार नहीं . ...... ©Timsi thakur

#sad_quotes #Quotes  White आज सुबह जब फोन देखा तो पाया मेरे एक पागल से दोस्त ने कई सारे मेसेजस् किये हुए हैं...क्या हुआ सुबह सुबह इसे, इतने मेसेजस् की बरसात क्या बात हैं... कहता हैं मैंने एक लड़की को प्रोपोज कर दिया बदले में उस लड़की के जो रिप्लाई थे दोस्त ने स्क्रीन शॉट भेजे हुए थे..... उन स्क्रीन शॉट्स में ये बड़ी बड़ी गंदी गालियाँ लिखी हुई थी... सच में ये देख कर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई.... एक लड़की भी इतनी शुद्ध हिंदी में ऐसी ऐसी गालियाँ दे सकती हैं..... सच में साबित करती हैं की लड़कियां लड़कों से किसी मामले में कम नहीं हैं यहाँ तक की आज की लड़कियां गालियाँ देने में भी पी ए च डी  की हुई हैं .... मेरा कहने का ये आशय बिल्कुल नहीं हैं की ऐसे ही किसी भी लड़के के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाए या उसे कुछ ना कहा जाए.... पर ना कहने ये कौन सा तरीका हुआ.... सीधे गालियों पर उतर आना कौन सी सभ्यता की पहचान हैं??????? 
अब मेरा ये दोस्त सच में कितना बेवकूफ हैं खैर मैं ये बात जानती हूँ.... तो सबसे पहले तो मैंने खुद उसकी क्लास लगाई... की ऐसे कैसे किसी भी अंजान लड़की को सीधा प्रोपोज कर दिया बिना उसे जाने पहचाने..... गलती तो पहले उसकी थी ना..... मैं सोच में पड़ गयी...... आखिर ये लड़के बस किसी भी लड़की की खूबसूरती पर एक नजर में मर मिट ते हैं बिना ये जाने उस लड़की में तहजीब नाम की कोई चीज हैं भी या नहीं वो प्यार के लायक हैं भी या नहीं.... बस कोई भी राह चलती इन लड़कों को अच्छी लग जाती हैं.... सीधे जाकर कम अक्ल के जैसे.... यूँ ही प्रोपोज कर देते हैं ........... आखिर कब समझेंगे लड़के की सूरत से खुबसूरत हजार मिल जायेगी पर साथ वो ही निभा सकती हैं जो सीरत की खूबसूरती रखती...... खैर लड़कों का तो गुणगांन् ही क्या किया जाए...... ये लोग समझते कहाँ हैं...... मेरी सलाह उसे कितनी समझ आई होगी ये तो भगवान जाने..... 
अब बात आती हैं लड़कियों की ये जाहिर सी बात हैं हर लड़की को ऐसे प्रोपोसल् तो आते ही रहते हैं..... क्युकी लड़कियों को प्रोपोज करना हर लड़की पर ताक  लगाए रखना तो लड़के अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझते हैं........ और शायद इसी के चलते आज कल लड़कियां किसी लड़के से सीधे मुह बात करना पसंद नहीं करती...... क्युकी जुर्म ने प्रचंड रूप भी तो सिर्फ लड़कियों हम स्त्री जाति को ही सबसे ज्यादा दिखाया हैं तो उनकी इस कटुता का स्वभाव में होना तो लाजमी हैं....... 
पर कहना चाहूँगी की बहुत जरूरी हैं हम लड़कियों को सही गलत की पहचान होना ,समझदार होना की यूँ ही कोई भी आकर अपनी गंदी गलत नजरे ना डाले...... पर अंतर होता हैं समझदार होने और बद्तमीज होने में जैसे हम लड़कियों को बर्दाश नहीं की कोई हमारे साथ अभद्र व्यवहार करें हमें अपशब्द कहे उसी तरह हम लड़कियों को भी कोई अधिकार नहीं . ......

©Timsi thakur

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