गाँठ हृदय की खोलूँ क्या..? सुन पाओ, तो बोलू क्या..? ज़रूरी नहीं चुभे कोई बात.. तुम्हारा रूठकर बात न करना भी, मुझे चुभता है, दिन - रात. तुम तो जानते हो ना.
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