प्रेम पूरा हो ना हो पवित्र जरूर होना चाहिए, इतना कि जब-जब मैं तुमको लिखूँ तो मुझे लगे कि ये तो मैं तुम्हें क़ैद कर रहा हूँ, और इस बात से मैं उदास होऊँ और खुद.
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