तलवारों ने हमेशा ख़ून ही पिया है, चाहे अपनी हो या परायों की। मर्ज़ ऐ इश्क़ ने ग़ुलाम ही बनाया है, ऐ बनारसी, चाहे तू बने या कोई तेरा। ©Banarasi.. कुछ किस्से कुछ.
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