जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था। ©नवनीत ठाकुर जियारत कर.
1 Stories
17 Love
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here