मैं धागा-धागा खुल जाऊँगा तय है मगर तुम खुद को चरखा करके जाना झुके नैनों में होती क्या कशिश है सबक़ ये हमने सजदा करके जाना हमारे दर-मयाँ जो फ़ासले हैं उन्हें इस.
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