ये कहाॅं लिखा है कि हम ही हर रोज़ जा कर किसी के दरवाज़े पर दस्तक दें। दरवाज़ा तो हमारे भी घर का खुला है, वो लोग कभी ख़ुद भी तो आ सकते हैं अगर आने की चाहत रखते.
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