कभी करीब आ, तुझे परखू तो सही, ये दाग गहरे हैं, मगर मिटे तो नहीं। ज़ख्म खुद-ब-खुद भर जाएंगे यकीनन, बस एक बार तू मरहम कर तो सही। ©नवनीत ठाकुर कभी करीब आ, तुझे परख.
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